Himachal: प्रदेश सरकार खैर के पेड़ों के कटान पर लगाई अवधि की शर्त को हटाने की सुप्रीम कोर्ट में रखेगी दलील

India News(इंडिया न्यूज़) Himachal: हिमाचल प्रदेश सरकार खैर के पेड़ों के कटान पर लगाई गई समय अवधि से संबंधित की शर्त को हटाने की सुप्रीम कोर्ट में दलील रखेगी। हिमाचल प्रदेश में खैर के पेड़ों के कटान से संबंधित दो मामले उच्चतम न्यायलय में 10 मई, 2023 को सूचीबद्ध हुए हैं। प्रदेश सरकार खैर उत्पादक किसानों को राहत प्रदान करने के दृष्टिगत ‘दस वर्षीय कटान कार्यक्रम’ के अतंर्गत खैर के कटान पर लगाई गई शर्त हटाने तथा सुविधा अनुसार उन्हें खैर कटान की अनुमति प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायलय में अपना कानूनी पक्ष रखेगी।

सरकार के पक्ष में आया फैसला तो किसानों को मिलेगा फायदा- सीएम

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और खैर के पेड़ों के कटान के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि इससे किसान अपनी सुविधा और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार इसका कटान करने में सक्षम हो सकेंगे।

खैर को 10 साल के कटाई दायरे से बाहर करने के लिए गठित की कमेटी- सीएम

सीएम ने कहा कि खैर को दस साल के कटाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर करने और राज्य के किसानों के पक्ष में भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में छूट से संबंधित सुझाव प्रदान करने के लिए पूर्व में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति द्वारा न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई है और इस रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिए जाने की संभावना है।

अन्य मामले में सरकार कोर्ट से मांग रही खैर की कटाई की अनुमती

वहीं एक अन्य समान मामले में राज्य सरकार प्रदेश भर में सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति की मांग कर रही है। वन विभाग का मानना है कि खैर के पुनर्जीवन संबंधी गुणों के कारण सरकारी भूमि पर वनों का कायाकल्प करने के दृष्टिगत इसके कटान की अनुमति मिलनी चाहिए।

कोर्ट ने 2018 में खैर के पेड़ों के कटान दी थी अनुमति

इसके अलावा वन विभाग की एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2018 में खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की थी। इसके परिणामों का आकलन करने के लिए हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां शीर्ष अदालत ने खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी और समिति ने अपने निष्कर्ष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं।

खैर की लकड़ी का दवाईयों के उत्पादन में होता है उपयोग

खैर की लकड़ी से प्राप्त ‘कत्था’ औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसका विभिन्न दवाईयों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। ऐसे में राज्य सरकार की दलील है कि वनवर्धन (सिल्वीकल्चर) के दृष्टिगत खैर का कटान वन प्रबंधन सहित प्रदेश के राजस्व अर्जन के लिए भी बेहतर है।

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Mudit Goswami

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