India News (इंडिया न्यूज़), Himachal Apple Season: किलो के आधार पर सेब का व्यापार करने को लेकर सरकार के फैसले से आढ़तियों को नुकसान होने की आशंका है, जिससे कुछ बड़े आढ़तियों ने प्रदेश से बाहर पलायन करना शुरू कर दिया है। शिमला की भट्टाकुफर और पराला मंडी के 4 बड़े आढ़तियों ने हरियाणा की नवनिर्मित पिंजौर मंडी में प्लॉट ले रखा है। एपीएमसी पंचकूला के पास प्लॉट के लिए 7 अन्य आढ़तियों ने भी आवेदन किया है। जो नौकरीपेशा पलायन कर रहे हैं, वे सीजन में सेब थोक में खरीदते हैं। संभव है हालांकि एपीएमसी का दावा है कि बागवानों को फसल बेचने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। दलालों का कहना है कि भट्टाकुफर और पराला मंडी में प्रति किलो सेब के कारोबार के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। वजन के हिसाब से कारोबार करने पर नुकसान हो सकता है। इस साल निजी स्टोर भी सेब के लिए उपलब्ध नहीं हैं। अपना कारोबार बचाने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है।
यह एक सतत प्रक्रिया है। हमारी मंडियों में बाहरी राज्यों से भी बड़े दलाल आ रहे हैं। व्यवसायियों के लिए कृषि विपणन बोर्ड की ओर से कोई प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते कि वे नियमों और कानूनों का पालन करें- नरेश ठाकुर, प्रबंध निदेशक हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड बाजी लग चुकी है। भट्टाकुफर मंडी में मलबे का ढेर लगा हुआ है। पराला मंडी की सड़क को चौड़ा नहीं किया गया है। 10 दिनों में सीजन शुरू होने वाला है। कारोबार बचाने के लिए पलायन मजबूरी है। – हरीश ठाकुर, प्रधान अखिल हिमाचल आढ़ती एसोसिएशन।
मैं घर छोड़ने को मजबूर हूं। आपके घर में सुविधा नहीं मिल रही सालों से हमारे साथ जुड़े बागवानों को बचाना है। इस साल न तो स्टोर मिल रहे हैं और न ही सरकार लोडिंग प्वाइंट चिन्हित कर पाई है। अगर घर में सुविधाएं होतीं तो वह अपने परिवार को कभी नहीं छोड़ते। – नाहर सिंह चौधरी, संस्थापक, भट्टाकुफर फ्रूट मार्केट
तौला जा रहा है। नीलामी यार्ड में ट्रेडिंग फ्लोर वाहनों तक पहुँचने के लिए बहुत छोटा है। हरियाणा सरकार ने मार्केट फीस माफ करने का ऐलान किया है। 12 माह पिंजौर में होगा काम, पराला में भी जारी रहेगा काम – अनुपाल चौहान, सलाहकार, आढ़तिया एसोसिएशन।
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