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Himachal: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला नौणी विश्वविद्यालय के सीनेट की वार्षिक बैठक हुए शामिल, कहा- विद्यार्थियों के कौशल विकास पर दें विशेष ध्यान

• LAST UPDATED : April 26, 2023

Indai News(इंडिया न्यूज़) Himachal: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के सीनेट की 16वीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विद्यार्थियों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए भी प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह हम सभी का सामूहिक दायित्व है कि यह विश्वविद्यालय देश के आदर्श शिक्षण संस्थान के रूप में पुनर्प्रतिष्ठापित हो। इसके लिए विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं अनुसंधान गतिविधियों को और बेहतर तरीके से चलाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। उन्होंने सीनेट की बैठक को नियमित तौर पर आयोजित करने के निर्देश दिए।

विश्वविद्यालय ने बुनियादी ढांचा विकसित करने में काफी प्रगति की- राज्यपाल


उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने पीछले वर्ष अपनी घरेलू आय 30.74 करोड़ रुपये अर्जित की है तथा विश्वविद्यालय केंद्र सरकार से भी अनुसन्धान व शिक्षा कार्यों के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद से अनुदान ले रहा है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान कार्य परियोजनाओं के लिए धनराशि उपलब्ध करवाने के लिए और प्रयास किये जाने चाहिये। उन्होंने कहा कि इस अवधि में विश्वविद्यालय ने बुनियादी ढांचा विकसित करने में काफी प्रगति की है। इस दिशा में पिछली सीनेट की बैठक से अब तक 37.99 करोड़ रुपये निर्माण कार्यों पर खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आधुनिक प्रयोगशालाएं, छात्रों के लिए अध्ययन-कक्ष, ई-कार्ट्स तथा सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए, सोलर रूफ टॉप पावर प्लांट व छात्रों के लिए एक सोलर स्टीम किचन जैसी सुविधाएं स्थापित की गई हैं।

विश्वविद्यालय को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा- राज्यपाल

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को छात्रों और वैज्ञानिकों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान 4 हजार 623 नई किताबें, पत्रिकाएं और थीसिस पुस्तकालय संग्रह में जोड़ी गई हैं। उन्होंने कहा कि समाज की नई पीढ़ी को मात्र उपाधिधारक बना देने से हमारा दायित्व पूरा नहीं हो सकता। अपितु युवाओं में सम-सामयिक चुनौतियों का सामना करने का साहस और क्षमता विकसित करना भी हमारी जिम्मेदारी है तभी विश्वविद्यालय सही मायनों में अपनी भूमिका को निभा पाएगा।

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