इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh)
गुरुवार को शिमला में पीटरहाफ में आयोजित एक दिवसीय उत्कृष्ट किसान सम्मेलन के दौरान गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Acharya Devvrat) ने कहा कि प्राकृतिक खेती में देशभर में नाम कमाने वाले हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान गुजरात सहित अन्य राज्यों में मास्टर ट्रेनर की भूमिका में जल्द ही नजर आएंगे।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती में हिमाचल प्रदेश पूरे देश में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री समेत प्राकृतिक खेती से जुड़े अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। आचार्य देवव्रत ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के लिए कृषि क्षेत्र 24 फीसदी हिस्सेदारी देता है।
ऐसे में यदि हम सभी इस खेती विधि को अपना लें तो हम पर्यावरण को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संजोए रखने के साथ बीमारियों से भी बच सकते हैं।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद प्राकृतिक खेती उत्पादों की मांग बढ़ी है और लोगों में रसायनमुक्त, पोषणयुक्त खाद्यान के प्रति जागरूकता बढ़ी है इसलिए हिमाचल के किसानों को प्राकृतिक खेती को पूरी ईमानदारी के साथ अपनाना चाहिए ताकि वे अपने उपभोक्ताओं को पोषणयुक्त और रसायनमुक्त खाद्यान्न मुहैया करवा सकें।
आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश के किसानों को कहा कि वे लोगों में फैमिली डाक्टर की बजाय फैमिली फार्मर बनाने को लेकर विश्वास पैदा करें।
उन्होंने कहा कि इस खेती विधि से धरती माता, गौ माता, पर्यावरण और पानी का बचाव होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे देशभर में प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार करने की जिम्मेदारी दी है।
इसके लिए मुझे हिमाचल प्रदेश के किसानों की जरूरत पड़ेगी। हिमाचल प्रदेश के किसानों को दूसरे राज्यों में प्रशिक्षण देने के लिए ले जाएंगे और पूरे देश में इस खेती आंदोलन को बढ़ावा देंगे।
सम्मेलन के दौरान कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल में जमीनें कम हैं और यहां पर अधिक उत्पादन लेने के लिए हमारे किसान अधिक रसायनों को प्रयोग करते हैं लेकिन इनका दुष्प्रभाव हमें मिट्टी की घटती गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरित प्रभावों के रूप में देखने को मिल रहा है।
इसे देखते हुए हमारे पूर्व राज्यपाल आचार्य के मार्गदर्शन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की शुरूआत की।
आज 4 साल में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं और हम रसायनमुक्त राज्य की ओर बढ़ रहे हैं। आज हिमाचल प्रदेश की ओर से शुरू की गई प्राकृतिक खेती की मुहिम के साथ देश के अन्य राज्यों के किसान भी जुड़ना शुरू हो गए हैं जिससे मुझे प्राकृतिक खेती का अखंड भारतीय स्वरूप देखने को मिल रहा है।
हमने ग्रामीण विकास विभाग और अन्य विभागों के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती उत्पादों के विपणन के लिए तैयारियों को गति दी है ताकि हम किसानों की आय को बढ़ा सकें।
कंवर ने कहा कि हमने किसानों को खेती के साथ डेयरी, मधुमक्खी पालन और अन्य आय बढ़ाने वाली तकनीकों के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। हम हींग, दालचीनी और केसर की खेती को भी प्रदेश में बढ़ावा दे रहे हैं।
सम्मेलन के दौरान सचिव कृषि राकेश कंवर ने प्रदेश में चल रही प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान से जुड़े किसानों के बारे में जानकारी दी और उन्होंने कहा कि इन किसानों के उत्पादों को बाजार मुहैया करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कई किसानों ने अपने स्तर पर ही प्राकृतिक खेती के उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का इंतजाम किया है और उन्हें बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
इस सम्मेलन में मार्केटिंग बोर्ड के एमडी नरेश ठाकुर, कृषि निदेशक डा. एनके धीमान और प्रदेशभर से 400 से अधिक उत्कृष्ट किसानों और अधिकारियों ने भाग लिया।
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