इंडिया न्यूज (Himachal Pradesh): इन दिनों हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम बदलने की बात जोर- शोर से हो रही है। इससे पहले भी प्रदेश के कई हिस्सों के नाम बदले गए है। विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन इन दिनों राजनीति में नाम बदलना फैशन सा हो गया है। देश में भले ही नाम बदलने की राजनीति हाल ही में नई हो। लेकिन हिमाचल प्रदेश में नाम बदलने का चलन बहुत पुराना है। हिमाचल प्रदेश में सरकारें अपनी साहुलियत के लिए स्थानों का नाम बदलती रही हैं।
नाम बदलने के क्रम में ही हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री शांता कुमार ने अपने कार्यकाल में स्टेट गेस्ट हाउस पीटरहॉफ का नाम बदलकर मेघदूत रख दिया था। बाद में सत्ता बदलने पर वीरभद्र सिंह ने मेघदूत का नाम बदलकर वापस पीटरहॉफ ही कर दिया। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास का नाम बदलकर ओक ओवर से शेल कुंज कर दिया था।
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साल 2018 में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम बदलने का प्रस्ताव सामने आया था। शिमला का नाम बदलकर श्यामला करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह मांग विश्व हिंदू परिषद की ओर से उठाई गई थी। हिमाचल प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य महकमा देख रहे डॉ. विपिन सिंह परमार ने भी इस मांग का समर्थन किया था। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर में मां काली को पहले श्यामला देवी कहकर पुकारा जाता था।
जानकारी के मुताबिक पहले भी नाम बदलने का मामला अस्तित्व में आया था जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष आमने- सामने आ गए थे और विरोध का सिलसिला चलने लगा था। उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा था कि शिमला का नाम बदलना सरासर गलत है। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद पर तंज करते हुए कहा कि अब विश्व हिंदू परिषद हमारा भी नाम बदलने का प्रस्ताव रख सकती है।
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