India News (इंडिया न्यूज), Himachal News: सरकार की ओर से बिना कैबिनेट के लिए गए फैसलों को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई 26 दिसंबर को निर्धारित को निर्धारित की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के जवाब का जवाब-दावा दायर करने का आग्रह किया गया। पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप की ओर से दायर याचिका के माध्यम से सत्ता सरकार पर आरोप लगाया गया है कि बिना कैबिनेट बनाए ही सरकार के फैसलों को रद्द किया गया है। कैबिनेट के फैसलों को कैबिनेट के निर्णय से ही निरस्त किया जा सकता है। सरकार की ओर से जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसलों को निरस्त करना गैरकानूनी है।
भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ता ने सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को रद्द करने की गुहार लगाई है। आरोप लगाया गया कि इस आदेश के तहत भाजपा सरकार के प्रगतिशील निर्णयों को तुरंत प्रभाव से रद्द किया गया है। जबकि सरकार से ये निर्णय कैबिनेट में सोच समझ कर लिए थे। अदालत को बताया गया कि गत 12 दिसंबर को सरकार ने मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी विभागों के अधिकारियों को दिया गया पुनर्रोजगार समाप्त कर दिया। इसी तरह एक अप्रैल 2022 के बाद कैबिनेट में लिए गए सभी फैसलों की समीक्षा होगी। इनमें नए संस्थान खोलने और अपग्रेड करने के फैसले पर विचार किया जाएगा। राज्य के निगमों, बोर्डों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नामित सदस्यों एवं बाकि कमेटियों के साथ ही शहरी निकायों में नामित सदस्यों की नियुक्तियां रद्द कर दी गई है।
ये भी पढ़े- Buxar Train Accident: बिहार में बड़ा हादसा, ट्रेन के 5 डिब्बे…