India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: हिमाचल प्रदेश में विद्युत उत्पादन बहुत तेजी से गिरता जा रहा है। आज की तारीख में उत्पादन में 63 प्रतिशत गिरावट आई है। बारिश के मौसम के बाद नदियों का काफि पानी सूख गया है। जिसकी वजह से 100 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट अब केवल 37 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। विद्युत उत्पादन में चल रही, इस गिरावट के संबंध में राज्य बिजली बोर्ड तथा पावर कारपोरेशन के प्रोजेक्ट्स की गिरावट सबसे ज्यादा करीबन 68 प्रतिशत तक हुई है। हिमाचल में आशंकिक 92 बिजली प्रोजेक्ट 1140 मेगावाट विद्युत क्षमता के हैं। जिनमें से 12 प्रोजेक्ट सेंट्रल पीएसयू द्वारा चलाए जाते हैं। इन 12 प्रोजेक्ट एसजेवीएन, एंटीसेप्टिक, एनएचसी और बीएमबी शामिल है। यह सभी बड़े प्रोजेक्ट है, साथ ही इन सभी प्रोजेक्ट में सबसे अधिक 7402 मेगावाट विद्युत क्षमता है। हिमाचल बिजली बोर्ड के पास 497 मेगावाट के कुल 13 छोटे-छोटे बिजली प्रोजेक्ट्स है। माइक्रो बिजली प्रोजेक्ट से आने वाले 31 मेगावाट बिजली भी इसी गिनती में शामिल है। राज्य ऊर्जा निगम चार प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके अलावा इंडिपेंडेंस पावर प्रोड्यूजर्स हिमाचल में 22 बिजली प्रोजेक्ट्स चलते हैं। इनमें सबसे बड़ा 1045 मेगावाट का करछम वांगतू प्रोजेक्ट किन्नौर में स्थापित है। माइक्रो प्रोजेक्ट्स से भी इस कैटेगरी में 318 मेगावाट विद्युत उत्पादन शामिल है।
इन सब के अलावा जोगिंदरनगर का शानन पावर हाउस जो की लीज आधारित होने की वजह से अलग कैटेगिरी में रखा है कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है। ये सभी 52 प्रोजेक्ट अपनी उुत्पादन से 63 प्रतिशत तक गिरे है। परेशानी की बात यह है कि लारजी बिजली प्रोजेक्ट जो की 126 मेगावाट का है बाढ़ के दौरान ही बंद हो गया था। मंडी तथा कुल्लू के बीच स्थापित लारजी प्रोजेक्ट में ब्यास नदी से पानी घुस गया था। हिमाचल सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट की रिपेयरिंग का काम भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल ) को सौंपा गया है। जिस काम की डेडलाइन उन्हें नवंबर एन्ड तक की दी गई है। परंतु यहां इस साल विद्युत उत्पादन होने की कोई उम्मीद नहीं है। वहीं दूसरी तरफ हिमाचल सरकार द्वारा सोलर उत्पादन बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरु किया गया है। परंतु फिलहाल प्रोडक्शन शुरु नहीं हो पाया है। जिस कारण आगामी सर्दियों में न केवल बैंकिंग पर बिजली लेनी होगी, बल्कि खुले बाजारों से भी बिजली खरीदनी पड़ सकती है। यह काफि चिंता का विषय है, जिससे मद्देनजर रखते हुए हिमाचल सरकार की ओर से केंद्रिय ऊर्जा मंत्री की किटी में मौजूद रहने वाले 400 मेगावाट बिजली से अतिरिक्त पावर मांगी गई है। हालांकि एसजेवीएन के प्रोजेक्टों पर केंद्र के साथ चल रहे टकराव के बीच यह मदद मिल पाएगी या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
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