India News (इंडिया न्यूज़), Himachal, संवाददाता संजीव महाजन:नूरपूर ब्लाक में दस विस्तर आयुर्वैदिक चिकित्सालय सुलयाली जो कि करोड़ों रुपए की लागत से बना हुआ है जिसमें डयूटी डाक्टर और स्टाफ के निवास के कमरे भी बनाए हुए हैं यह आयुर्वैदिक चिकित्सालय को लोगों की मांग पर पूर्व भाजपा सरकार व पूर्व मंत्री राकेश के प्रयासों द्वारा लोगो चिकित्सा सुविधा देने के लिए दिन-रात शुरू करवाया गया था और यह कुछ समय तक इस चिकित्सालय में दिन-रात रह सुविधा लोगों को मिलने लगी । मगर कुछ विभागीय कमियों के चलते अब इस चिकित्सालय में शाम पांच बजे से ओपीडी बन्द कर दी गई है अब यहां सिर्फ आईपीडी की सुविधा ही है।जिसको लेकर गांववासियों में भारी रोष है और इसको लेकर गांव वासी विभाग और सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर रहे है और यह कह रहे हैं कि अगर सरकार व विभाग ने यह सुविधा नहीं देनी थी तो इस चिकित्सालय में डाक्टर निवास क्यों बनवाया क्योंकि रात्रि यहा कोई डाक्टर नहीं ठहरता है हालांकि इस डाक्टर निवास में चिकित्सालय प्रभारी ने अपना समान रखा हुआ है और विभाग को यही कहता है कि मैं रुकता हूं । जब नियमानुसार जो भी डाक्टर यहां काम करते हैं वह पांच से आठ किलोमीटर के पास ही रहना चाहिए पर यहां सिर्फ एक डाक्टर ही गांव में रहता है ।
पंचायत उपप्रधान नरेश शर्मा ने कहा कि बीती रात मै चिकित्सालय में आया तो यहां जिस डाक्टर की ड्यूटी थी जिसे यहां ठहरने के लिए निवास मिला है वह डयूटी पर नहीं पाया गया गया मैं यहां करीबन आधा घंटा एक घंटा रुका तब तक कोई डाक्टर नहीं था हालांकि वाकी स्टाफ नर्स व दूसरा कर्मचारी ड्यूटी पर था जब हमने डाक्टर से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी बहन के घर खाना खाने गया हूं मैं विभाग सरकार से कहना चाहता हूं कि अगर डाक्टर आईपीडी के लिए डयूटी है तो क्या उसे यहां नहीं होना चाहिए । बीती रात एक अचानक एक बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी तो हम यहां उसे लेकर आए थे ।
पंचायत सदस्य सुनील भरद्वाज ने कहा कि गांव एक बच्चे की तबीयत एक दम बिगड़ गई तो हम चिकित्सालय में आपातकालीन इलाज सुविधा के लिए आए तो यहां ड्यूटी पर जो डाक्टर था वह नहीं मिला तो मैंने उन्हें फोन किया तो पहले उन्होंने फोन नहीं उठाया तो मैंने किसी से फोन करवाया तो उन्होंने कहा मैं घर पर हू फिर बाद में कहा कि मैं अपनी बहन के घर पर हू ।इस चिकित्सालय को पूर्व मंत्री राकेश पठानिया ने कोशिश करके 80 लाख रुपया मंजूर करवाकर डाक्टर स्टाफ के लिए रहने के कमरे बनवाएं थे मगर यहां कोई डाक्टर नहीं रुकता है हम विभाग और सरकार से अपील करते हैं कि इस जांच की जाए ।क्योंकि गांव में अगर किसी की अचानक तबीयत बिगड़ जाए तो इस गांव में रात्रि के समय कोई डाक्टर नहीं होता।
चिकित्सालय प्रभारी डा.चन्द्र प्रकाश अरुण ने इस विषय में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि आज मेरी ड्यूटी 9.30 बजे से 4.30 बजे तक थी जबकि मैं यहां से 5.30 बजे गया हूं यहां से करीबन दो किलोमीटर दूर मेरी बहन का घर है वहां खाने का प्रोग्राम था वहां मैं खाना खाने गया था फिर मैं किसी ओर के पास चाय पीने रुक गया था ।हम बताना चाहते हैं कि इस चिकित्सालय में आनकाल नाइट सर्विस है यहां इमरजेंसी कोई नहीं देखी जाती है मैं अभी जो मरीज यहां दाखिल है उनकी जांच कर रहा हूं मैं कहीं नहीं गया था मैं आठ किलोमीटर के बीच ही था मैं जब यहां आया तो वह जा चुके थे।
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