India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े 30 विधायकों तथा पूर्व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को खत्म करवाने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया गया है। गृह विभाग द्वारा अदालत से 65 अभियोग वापस लेने की अनुमति मांगी गई है। मामले को सुनवाई के लिए शनिवार को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन समय अभाव से सुनवाई नहीं हो पाई।
आवेदन के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 10 जिलों की अदालतों में ये अभियोग चल रहे हैं। दलील दी कि वर्तमान और पूर्व विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। किसी के खिलाफ गंभीर अपराध की सिफारिश नहीं है। ये आवेदन कानून की पुष्टि से असंबद्ध किसी गुप्त उद्देश्य से दायर नहीं किया गया है।
आवेदन सार्वजनिक नीति और न्याय के हित में अच्छे विश्वास से किया गया है न कि कानून की प्रक्रिया को विफल करने या दबाने बनाने के लिए। आवेदन में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक तथा सांसद के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्ति किया गया है, लेकिन अभी तक सिर्फ सात मामले निपटाए हैं।
जानकारी है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत सरकार के मामले में आदेश दिए गए थे कि मौजूदा तथा पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालत गठित की जाए। इस निर्णय के अनुपालना करते हुए हाईकोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है और आदेश दिए हैं कि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए।
राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दायर सूची के अनुसार सुखविंद्र सिंह सुक्खू के खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके अलावा विक्रमादित्य सिंह पर तीन, अनिरुद्ध सिंह पर दो, विक्रम जरयाल पर दो, कुलदीप सिंह राठौर पर छह, राकेश सिंघा पर 25, भुवनेश्वर गौड़ पर चार आपराधिक मामले दर्ज हैं। जितेंद्र चौधरी, राजन सुशांत, हरीश जनारथा, मनीश ठाकुर, जगत सिंह नेगी, लोकेंद्र कुमार, निखिल कुमार, मनोज कुमार, तिलक राज, राकेश पठानिया, राजेश धर्माणी, विजय अग्निहोत्री, अजय सोलांकी, कुश कुमार, नीरज भारती, नसीर रावत, विपिन परमार, प्रवीण शर्मा, विजय राणा, मुकेश अग्निहोत्री, नरेंद्र कुमार और राम कृष्ण शांडिल के खिलाफ एक-एक मामला दर्ज है। ये मामले शिमला, किन्नौर, कुल्लू, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, सिरमौर, चंबा, कांगड़ा और मंडी की अदालतों में लंबित हैं।
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