Himachal News: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने NCERT सिलेबस संशोधनों के माध्यम से इतिहास को फिर से लिखने के केंद्र सरकार के प्रयास के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के जनतांत्रिक अधिकारों के हनन किए जाने का भी विरोध किया। एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हरीश ने कहा कि हम केंद्र सरकार द्वारा एनसीईआरटी के इतिहास के पाठ्यक्रम में हाल ही में किए गए संशोधनों की कड़ी निंदा करती है। हम इतिहास की पाठ्यपुस्तक, “भारतीय इतिहास के विषय भाग 2” से मुगल दरबारों से संबंधित अध्यायों और विषयों को हटाने के बारे में बहुत चिंतित हैं। इतिहास के साथ इस तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नही की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक एजेंडे में फिट होने के लिए इतिहास को फिर से लिखने का आरएसएस का प्रयास शिक्षा, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है। शिक्षा का उद्देश्य तटस्थ और निष्पक्ष दृष्टिकोण प्रदान करना है, न कि प्रचार प्रसार करना। अपने हितों के अनुरूप इतिहास से खिलवाड़ कर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार शिक्षा की बुनियाद को ही कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि एसएफआई का दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होनी चाहिए और आलोचनात्मक सोच और तर्कसंगत जांच को प्रोत्साहित करना चाहिए। हम छात्रों, शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ एकजुटता से खड़े हैं जिन्होंने इन संशोधनों के खिलाफ बात की है और हमारी शिक्षा प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए एकजुट संघर्ष का आह्वान किया है।
अध्यक्ष हरीश ने कहा कि एसएफआई सरकार से यह मांग करती है कि सरकार को इन परिवर्तनों को उलटने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और शैक्षणिक अखंडता और बौद्धिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिए। एसएफआई राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को फिर से लिखने के किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी और वास्तव में लोकतांत्रिक और निष्पक्ष शिक्षा प्रणाली बनाने की दिशा में काम करेगी। एसएफआई केंद्र सरकार के इस “हिंदू राष्ट्र” के एजेंडे को कभी भी सफल नहीं होने देगी अगर केंद्र सरकार इस पर उचित फैसला नहीं लेती है तो एसएफआई प्रत्येक छात्र को लामबंद करते हुए आंदोलन करेगी।