India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: अब अगले विधानसभा सत्र के दौरान कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों और उद्योग संबंधित विषय पर नियम-130 के तहत चर्चा होगी। विपक्ष के नियम 130 के तहत होने वाली चर्चा को 324 में बदलने के विरोध के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने यह व्यवस्था दी है। इससे पहले विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि नियम 324 के तहत मामूली उत्तर आता है जबकि नियम 130 के तहत लंबी चर्चा होती है। भाजपा वरिष्ठ विधायक विपिन सिंह परमार ने नियम 130 के तहत स्वास्थ्य संबंधित कैंसर व अन्य गंभीर मामले पर चर्चा मांगी थी। हालांकि उन्होंने सदन में इस विषय पर अपनी लंबी बात रखी लेकिन विपक्ष के अन्य विधायकों ने भी इस पर अपने सुझाव देने थे, लेकिन इसे नियम – 324 में बदला गया है।
वहीं, विक्रम सिंह ठाकुर ने भी नियम – 130 के तहत उद्योग संबंधित वैट और बिजली की दरों से जुड़ा अहम विषय उठाना था, उसे भी 324 में बदला गया है। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि नियम 130 के तहत स्वास्थ्य संबंधित विषय पर चर्चा चल रही थी तो उस समय विपक्ष ने सदन का वाकआउट किया। विधानसभा अध्यक्ष की ओर विधायकों के नामों का जिक्र किया लेकिन सभी अनुपस्थित पाए गए। विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि दोनों मामलों को अगली विधानसभा में नियम 130 के तहत ही चर्चा होगी। अंतिम दिन इन पर चर्चा संभव नहीं है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकायुक्त संशोधन विधेयक सदन में पारित करने का प्रस्ताव किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के सदन में न होने पर यह प्रस्ताव उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने रखा। इस संशोधन विधेयक में हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त अधिनियम की धारा सात में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया। इस संशोधन विधेयक में यह व्यवस्था की गई है कि अब प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को भी लोकायुक्त नियुक्त किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट केजज ही लोकायुक्त बन सकते थे। राज्य में लोकायुक्त का पद वर्ष 2022 से रिक्त चल रहा है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की ओर से सदन में इस विधेयक को पारित करने के प्रस्ताव से पहले राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि अगर कोई सदस्य इस पर बोलना चाहते हैं तो वे बोल सकते हैं। इसके साथ उप मुख्यमंत्री इसका उत्तर देंगे, मगर सदन में इस संशोधन विधेयक पर किसी भी सदस्य द्वारा चर्चा में भाग नहीं लिया गया और उसके बाद सत्ता पक्ष की हां से हां मिलाई गई और विधेयक को पारित कर दिया गया।
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