India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने और इस सांविधानिक प्रावधान के लागू होने के बाद हिमाचल का पूरा राजनीति परिदृश्य ही बदल जाएगा। हालांकि अभी यह दूर की बात है। सब कुछ सही रहा तो 2032 के विस चुनाव में यह व्यवस्था लागू हो सकती है। इसे परिसीमन और 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद लागू होने की बात हो रही है तो उस समय हिमाचल में 22 या आसपास महिलाएं विधायक बनने की उम्मीद है, जिसका आज तक का सर्वाधिक आकड़ा छह का है।
इतनी महिला प्रतिनिधि विधानसभा की दहलीज लांघ लेंगी तो नया इतिहास बनेगा। इससे तब कई सिटिंग विधायकों को कुर्सियां छिनने का भय रहेगा और अनेक महिला नेत्रियों की एमएलए बनने की हसरतें जागेंगी। पिछले कई चुनावों में हिमाचल में वोट डालने में महिलाओं की संख्या अक्सर पुरुषों से ज्यादा रही है, मगर इस आधी से ज्यादा आबादी के लिए इसका अनुपात छोड़िए, एक दहाई के आंकड़े तक प्रतिनिधित्व मिलना भी तारे तोड़ लाने के बराबर रहा है। इससे देवधरा की सत्ता में महिला नुमाइंदों का बड़ा हस्तक्षेप होगा।
यहां महिलाओं को टिकट देने में भी हमेशा कंजूसी रही है। पिछले वर्ष हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने महज नौ महिलाओं को टिकट दिए। तब सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने छह और विपक्षी कांग्रेस ने केवल तीन महिलाओं को उम्मीदवार बनाया। इससे पच्छाद से इकलौती महिला विधायक रीना कश्यप विधानसभा पहुंचीं। वर्ष 1977 से लेकर अब तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार राज्य में 1998 में ही सबसे ज्यादा छह महिलाएं विधायक बनीं। बाकी चुनाव में एक, तीन, चार और पांच में ही इकाई में आंकड़ा फंसा रहा।
साल 1990 में 4, 1993 में 3, 1977 में केवल 1 ही, 1982 में 3, 1985 में 3, 1998 में 6, 2003 में 4, 2007 में 5, 2012 में 3, 2017 में 5, 2022 में 1 ही महिला विधायक चुनीं गई।
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