India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: हिमाचल प्रदेश में चल रहे पेपर लीक मामले में प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव को लेकर बरती जा रही नरमी से जांच एजेंसियों एवं सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालात कर दिए गए है। पूर्व सचिव के खिलाफ कोर्ट में चलान भी पेश नहीं हो पाया है। असल में 23 दिसंबर 2022 को पेपर लीक का पहला केस सामने आया था।
विजिलेंस द्वारा आयोग की गोपनीय शाखा की वरिष्ठ सहायक पद से निलंबित उमा आजाद सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उस समय से अब तक 14 पोस्ट कोड की भर्तियों के पेपर लीक की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस थाना हमीरपुर में 13 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।
एचएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कंवर भंग होने से पूर्व कर्मचारी चयन आयोग में सचिव के अलावा परीक्षा नियंत्रक भी रहे हैं। इसके चलते प्रत्येक भर्ती परीक्षा में उनकी अहम जिम्मेवारी निश्चित है। उन्हें कुछ दिन पुलिस रिमांड एवं न्यायिक रिमांड में रखने के बाद अब रिहा कर दिया गया है।
जबकि निलंबित वरिष्ठ सहायक उमा आजाद 23 दिसंबर से सलाखों के पीछे है। कानून के जानकार बताते हैं कि जितना गुनाह पेपर लीक मामले में उमा आजाद का है, उतना ही पूर्व सचिव जितेंद्र कंवर भी जिम्मेदार हैं। लेकिन अभी तक डॉ. जितेंद्र कंवर के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश नहीं हो पाया है।
जबकि उमा आजाद के खिलाफ दो चालान पेश किए जा चुके हैं। एसपी विजिलेंस राहुल नाथ ने कहा कि पूर्व सचिव डॉ. जितेंद्र कंवर के खिलाफ न्यायालय में जल्द चालान पेश होगा। चार्टशीट को स्वीकृति के लिए शिमला हेडक्वार्टर भेजा जाएगा।
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