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Himachal News: हिमाचल में जर्मन तकनीक से बनेंगी सड़के, केंद्र से मिली मंजूरी

• LAST UPDATED : May 26, 2023

India news (इंडिया न्यूज़), Himachal News, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल के पहली बार सड़कों आधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। इस बार सड़कों के निर्माण में जर्मन इनोवेशन का उपयोग किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में इस तकनीक का उपयोग करके सड़कोें का निर्माण किया गया है। हिमाचल में भी उसी तर्ज पर सड़कों को फुल डेफिनिटी रिकवरी (एफडीआर) से विकसित करने के लिए तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार ने एफडीआर तकनीक से 600 किलोमीटर सड़कें बनाने के लिए अनुमति प्रदान की है। हिमाचल में इस तकनीक का मुख्य उपयोग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में किया जाएगा।

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने पीएमजीएसवाई चरण तीन में 3100 किमी की डीपीआर भेजी है। इस डीपीआर में 450 किमी की सड़कों को बनाने की अनुमति पहले ही मिल चुकी है, जबकि 2650 किमी की डीपीआर को केंद्र सरकार के पास दर्ज कर दिया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से एक विशेष टीम को शिमला भेजा गया है। इस टीम ने हाल ही में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ अहम बैठक भी की। इस टीम की तरफ से लोक निर्माण विभाग को सड़कों के जीर्णोद्धार के लिए एफडीआर तकनीक का उपयोग करने का निर्देश दिया गया। इसके अतिरिक्त कुल 2650 किलोमीटर में से 600 किलोमीटर को एफडीआर के चुन लिया गया है।

प्रदूषकों को कम करती है जर्मन तकनीक

उल्लेखनीय है कि एफडीआर जर्मन तकनीक का उपयोग करता है। इसके तहत मौजूदा सड़कों को उखाड़कर उसी मलबे से नई सड़कों का निर्माण करता है। इस तकनीक की खास बात यह है कि ये प्रदूषकों को कम करती है। इससे पहले इस तकनीक का उपयोग करके उत्तर प्रदेश में सड़कों को बनाया गया था। अब इस तकनीक का उपयोग हिमाचल में भी किया जाएगा। इस तकनीक से पहले पीएमजीएसवाई की सड़के और बाद में नियमित सड़कों को बनाया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग पुरानी सड़कों के रख-रखाव के लिए भी किया जाएगा।

तकनीक का उपयोग करने के लिए खरीदी जाएगी मशीन

फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) में इस्तेमाल होने मशीन करीब 7 करोड़ रुपए की है। अगर लोक निर्माण विभाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की निविदा प्रक्रिया को एफडीआर के दायर में लाता है तो ठेकेदारों को उपकरण खरीदने की जरूरत होगी। हालांकि, विभाग की तरफ से शुरुआत में इस मशीन को किराए पर देकर काम को शुरू करने की मंजूरी देने की बात भी कही है। इस समय हिमाचल में ऐसा कोई ठेकेदार नहीं है जिसके जर्मन तकनीक का उपयोग करके सड़क बनाने का उपकरण उपलब्ध हो।

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