India News (इंडिया न्यूज़), Himachal News: देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कई मंदिर रहस्यों से भरे पड़े हैं। इन मंदिरों से जुड़ी देव आस्था की बातें हर किसी को हैरान कर देती हैं। हिमाचल में ऐसे सैंकड़ों मंदिर हैं जिनकी दैवीय शक्तियां और पौराणिक मान्यताएं हमेशा इन्हे चर्चा का विषय बनाए रखती हैं।
प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र नादौन शहर के पत्तन बाजार के समीप बना लंबलेश्वर महादेव मंदिर यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। इस मंदिर का निर्माण राजा राजेंद्र चंद कटोच की ओर से करवाया गया। इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक पौराणिक मान्यता है।
मान्यता के अनुसार राजा राजेंद्र चंद कटोच को एक रात को सोते समय सपना आया, जिसमें कि ब्यास नदी के किनारे उन्हें एक शिवलिंग की बात का पता चला। राजा ने अपने सैनिक भेजकर इस शिवलिंग को खोज जहां से कटोच वंश ने इस मंदिर की स्थापना की गई।
जिसे आज लंबलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह हर चार वर्ष के बाद शिवरात्रि वाले दिन एक चावल के दाने जितना आकार बढ़ा लेता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में विधि-विधान से लगातार 40 दिन इस मंदिर में पूजा-अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
इस मंदिर के प्रांगण में राधा-कृष्ण, शिव परिवार, गणपति महाराज, शनिदेव और शीतला माता की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और हर वर्ष यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर की शैली बैजनाथ में स्थित शिव मंदिर से ली गई है, उसी शैली में इसे बनवाया गया है जो कि आज भी पहले जैसा ही है।