Himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश की नदियों और नालों में कचरा फेंकने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए रोक लगाया है। अदालत ने प्रदेश की सभी नदियों और नालों में कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। जनहित में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि नागरिक ही नहीं, बल्कि नगर निगम निकाय भी नदियों और नालों में कचरा फेंक रहे हैं। अदालत ने इस प्रथा को तत्काल बंद करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया शिमला समेत कई जगहों पर गीले और सुखे कचरे को अलग किए बिना ही बोरी में इकट्ठा कर दिया जा रहा है।
अदालत ने सभी निकायों को आदेश दिए हैं कि गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करके इकट्ठा किया जाए और इसे अलग- अलग वाहनों में ले जाया जाए। इसके अलावा प्रतिदिन घर-घर से कूड़ा न उठाने को अदालत ने गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया कि जहां पर घर-घर से कूड़ा इकट्ठा जाता है, वहां कम से कम हफ्ते में तीन दिन कूड़े को इकट्ठा किया जाए। अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट को दो सप्ताह में तलब करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी।
कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम ने कूड़े कचरे की समस्या के लिए शिकायत करने के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया है। अदालत ने नगर निगम को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से विज्ञापन के जरिए टोल फ्री नंबर 9805201916 का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने पाया कि प्रदेश के कई स्थानों में केंद्र सरकार की स्वीकृति के बिना ठोस कचरा संयंत्र स्थापित नहीं किए जा रहे हैं। कोर्ट ने इसके लिए पर्यावरण वन संरक्षण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है।
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