India News HP (इंडिया न्यूज़), हिमाचल प्रदेश में कई सारे अभियान चलाने के बावजूद भी सड़क हादसों के मामलों में कोई कमी नहीं देखने को मिल रही है। ऐसा माना जाता है कि तेज रफ्तार की वजह से ही ज्यादातर सड़क दुर्घटना होती हैं। सड़क हादसों में 56 फीसदी एक्सीडेंट दोपहिया तो और 11 फीसदी एक्सीडेंट चार पहिया गाड़ियों से ही होती है।
प्रदेश में हो रही अधिकतर सड़क दुर्घटना का कारण तेज रफ्तार ही माना जा रहा है। तो वही ऐसे में इस तेज रफ्तारी को रोकने के लिए अलग अलग कई सारे अभियान शुरू हुए, तो सारे स्मार्ट कैमरे भी स्थापित हुए, ताकि अगर वाहनों की स्पीड तेज होने पर ट्रैफिक पुलिस के बिना स्मार्ट कैमरे ही चालान काट दे।
तो वहीं आंकड़ो के मुताबिक साल 2023 में सबसे ज्यादा ओवर स्पीड और बिना हेलमेट के चालान काटे गए है। लेकिन इसका कोई फायदा दिखाई नहीं दे रहा है। सड़क वाहनों के लिए लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने गति सीमा अलग-अलग तय की है।
प्रदेश में सड़क मार्गो के लिए 60 से 80 km तक है, तो वहीं जिला सड़क मार्गो के लिए 40 से 60 और सपंर्क मार्गो के लिए 40 से कम है जबकि कुछ खास स्थानों के लिए ये स्पीड सिर्फ 20 तक की तय हुई है लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गो पर 80 से 100 तक गति सीमा तय की गयी है।
दरअसल बात ये है की हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है कि सारे सड़क मार्ग पर गति सीमा एक सामान रखना काफी मुश्किल काम है तो वही इसका सबसे भयंकर परिणाम वाहन चालकों को भुगतना पर जाता है क्योंकि लोग बहुत भ्रमित हो जाते है की किस जगह पर कितनी रखनी है।
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