Himachal shaktipeeth: देश भर में लोग चैत्र नवरात्रि में मौके पर मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए जा रहे हैं। लोग ऐसी मंदिर में जाना चाहते हैं जहां माता के दरबार में उनकी दुआएं सुनी जा सके। आपको आज एक ऐसे ही शक्तिपीठ के बारे बताने जा रहे हैं जहां पर दर्शन करने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। यह शक्तिपाठ हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में सोला सिग्ही श्रेणी की पहाड़ी पर स्थित है। इस शक्तिपीठ का नाम मां चिंतपूर्णी मंदिर है। चिंतापूर्णी का अर्थ है सबकी चिंताओं को दूर करना। यह मंदिर शिव के 4 मंदिरों से घिरा है। नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।
प्राचीन कथाओं की माने तो इस मंदिर की शुरुआत 14वीं शताब्दी में हुई थी। मां दुर्गा के भक्त माई दास ने इस स्थान की खोज की थी। माई दास अपना अधिकतर समय पूजा-पाठ में लगाते थे। ऐसा कहा जाता है कि माई दास एक दिन अपने ससुराल जा रहे थे। रास्ते में वट वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गए। इसी वृक्ष के नीचे मंदिर है। इस जगह का नाम छपरोह था आज इसे चिंतपूर्णी के नाम से जाना जाता है।
माई दास को आराम के दौरान नींद लग गई थी जिसके बाद उनके स्वप्न में एक कन्या आई थी। कथाओं के अनुसार कन्या ने कहा कि माई दास इसी वट वृक्ष के नीचे पिंडी बनाकर पूजा करो। माई दास नहीं समझ पाए और ससुराल चले गए। लौटते समय माई दास फिर वहीं रुक गए और वृक्ष के नीचे बैठकर प्रार्थना करने लगे। मां ने दर्शन देकर तुम मेरे परम भक्त हो। तुम यहां रहकर मेरी आराधना करो। मैं तुम्हारें वंश की रक्षा करुंगी। माई दास ने कहा कि यहां कैसे आराधना करुं, यहां तो पानी भी नहीं है दूर-दूर तक जंगल है। दुर्गा ने कहा कि तुम जिस जगह पर जाकर शिला को उखाड़ोगे वहां से जल निकलने लगेगा। इसी जल से तुम मेरी पूजा करना। इसी वट वृक्ष के नीचे आज चिंतपूर्णा का मंदिर है।
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