India News (इंडिया न्यूज़), Himachal: हिमाचल प्रदेश की 3615 पंचायतों पर राज्य सरकार सख्ती करने जा रही है। इन पंचायतों के अनखर्चे बजट को राज्य सरकार वापस मांग सकती है। इसको लेकर तैयारी चल रही है। कुछ पंचायतों में लंबे समय से सरकार की कई योजनाओं में दिया बजट बगैर व्यय किए पड़ा है। कुछ पंचायतों में तो आलम यह है कि बजट ही खर्च नहीं किया गया है। इनमें विकेंद्रीयकृत योजना के अलावा एमएलए लैड, एमपी लैड या एसडीआरएफ के तहत दिया बजट तक शुमार है।
राज्य सरकार आपदा राहत के लिए हिमाचल में 4500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा कर चुकी है। इसके तहत 3500 करोड़ का प्रदेश सरकार अपने स्तर पर प्रबंध करने जा रही है, जबकि 1000 करोड़ रुपये मनरेगा के तहत व्यय किए जाएंगे। पंचायतों के पास मनरेगा के तहत भी काफी बजट है। यह उल्लेखनीय है कि कई शहरी निकायों के बजट को राज्य सरकार इसी तरह से वापस मंगवा चुकी है।
ग्रमीण विकास और पंचायतीराज विभाग के निदेशक रुग्वेद मिलिंद ठाकुर ने कहा कि कई मदों का बजट उपायुक्तों के माध्यम से जारी होता है। इसलिए बजट वापस लेने का मामला पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग से सीधा संबंधित नहीं है। न ही अभी इस तरह के आदेश हुए हैं। सरकारी स्तर पर कुछ चल रहा हो तो उस बारे में टिप्पणी नहीं कर सकते।
बिना कारण बजट खर्च नहीं करने पर सचिवों पर कसेगा शिकंजा
बिना किसी ठोस कारण के बजट को खर्च नहीं करने के लिए जिम्मेवार पंचायत सचिवों पर शिकंजा कसा जा सकता है। इस संबंध में पंचायतीराज विभाग और ग्रामीण विकास विभाग संबंधित खंड विकास अधिकारियों के माध्यम से ऐसे सचिवों से जवाबतलब किया जा सकता है।
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