लोकिन्दर बेक्टा, शिमला :
Energy Minister said in the Assembly : हिमाचल प्रदेश सरकार स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद किन्नौर जिला में प्रस्तावित 780 मेगावाट क्षमता की जंगी-थोपन पन बिजली परियोजना को रद नहीं करेगी।
ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि इस परियोजना को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए इसका विरोध कर रहे स्थानीय लोगों से बातचीत की जाएगी और उनकी आपत्तियों और शंकाओं को दूर किया जाएगा।
किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी (Kinnaur MLA Jagat Singh Negi) के मूल प्रश्न के उत्तर में ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के लिए 25 सितंबर, 2019 को एसजेवीएन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और अब इस परियोजना की डीपीआर तैयार की जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ने स्थानीय प्रतिनिधियों ने जंगी-थोपन-पोवारी परियोजना को रद करने की सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में जहां-जहां भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनने हैं या फिर बन रहे हैं, उनके विरोध का ट्रेंड चल पड़ा है।
उन्होंने कहा कि जितने भी डेवेलपर्ज हैं, उनका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सभी सदस्यों से कहा कि हिमाचल में पावर प्रोजेक्ट लगे या नहीं, इस बारे में सभी को विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पवन बिजली परियोजनाओं का विरोध करने के लिए कई ऐसे संगठन, एनजीओ और लोग पूरे प्रदेश में खड़े हो रहे हैं जिनका इन परियोजनाओं से कोई लेना-देना नहीं है और कुछ लोग परियोजना प्रबंधनों को ब्लैकमेल भी कर रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि एडीएम किन्नौर की अध्यक्षता में जंगी-थोपन परियोजना को लेकर एक कमेटी भी बनाई है और वह हर गांव में लोगों से बात करेगी।
उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से भी आग्रह करेंगे कि वह परियोजना का विरोध करने वालों से बात करें और उनकी जो शंका है, उसका निराकरण किया जाए।
कांग्रेस सदस्य जगत सिंह नेगी ने कहा कि 780 मेगावाट की प्रस्तावित जंगी-थोपन पनबिजली परियोजना को लेकर स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि भी भारी विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया कि लोगों के विरोध के मद्देनजर क्या इसे रद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वहां लोगों में विरोध इतना तेज है कि हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव में 3 पंचायतों के लोगों ने चुनावों का भी बहिष्कार किया था।
विधायक जवाहर ठाकुर और सुरेंद्र शौरी के सवाल पर ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि लारजी पनबिजली परियोजना (Larji Hydroelectric Project) लाडा का गठन होने से पहले चालू हो गई थी इसलिए इस परियोजना के क्षेत्र में लाडा से कोई राशि खर्च नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना मंडी के द्रंग और कुल्लू के बंजार विधानसभा हलके में स्थापित है। उन्होंने कहा कि लाडा को दिसंबर, 2009 में अपनाया गया, जबकि लारजी पन बिजली परियोजना 25 सितंबर, 2009 को चालू हो गई थी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना को लेकर भूमि का मुआवजा सभी को दे दिया गया है और जहां तक देवता के स्नानाघाट की बात है, उसका निर्माण करवाया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने 4 साल में शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 8,599 पद भरे हैं। अभी 6,128 पदों पर भर्तियां की जानी है।
शिक्षा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने कांग्रेस सदस्य आशा कुमारी के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चम्बा जिले में वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नडल, छनाणु, संघनी और डांड में विभिन्न श्रेणियों के कुल 41 पद खाली चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में कुल 86 पद सृजित हैं और इनमें से 45 पद भरे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डांड स्कूल में कुल 16 पद खाली हैं, जबकि संघनी में 9 और नडल व छनाणु स्कूल में 8-8 पद रिक्त हैं।
उधर, पवन काजल के मूल और रामलाल ठाकुर के अनुपूरक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा राजकीय उच्च तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में शारीरिक शिक्षकों के रिक्त चल रहे 870 पदों को भरने का निर्णय लिया गया था।
उन्होंने कहा कि इससे पहले कि इन पदों को भरने की प्रक्रिया आरम्भ की जाती, उच्च न्यायालय में कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर की गई।
उन्होंने कहा कि इसमें 26 अगस्त 2021 को उच्च न्यायालय द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर स्थगन आदेश पारित किए गए हैं। ऐसे में उच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के उपरांत ही इन पदों को भरा जाना है।
उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षकों का 230 पदों का बैकलोग है।
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने भाजपा सदस्य जीतराम कटवाल के सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती जिला कांगड़ा और ऊना में कुछ चुनिंदा किसानों/बागवानों द्वारा पिछले 2 वर्षों से अपने स्तर पर की जा रही है।
उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश के गर्म जलवायु वाले क्षेत्र अर्थात जोन-1 जिसमें समुद्रतल से 400 मीटर से 900 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्र आते हैं, इसके लिए अनुकूल हैं।
इसके तहत जिला मंडी का उपोष्ण क्षेत्र, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सिरमौर तथा सोलन (नालागढ़ व अर्की खंड), कांगड़ा तथा चम्बा (सिहुंता) आते हैं। Energy Minister said in the Assembly
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