India News (इंडिया न्यूज़), HP High Court, Himachal: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा कर्मचारी की पदोन्नति के मामले में अहम व्यवस्था की गई। न्यायाधीश सत्येन वैद्य द्वारा फैसले में कहा गया कि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत की गई भर्ती कानूनी तौर पर गलत है। अदालत ने नियमों में अयोग्य वन रक्षक की पदोन्नति को निरस्त कर दिया। इसके अलावा अदालत ने वन विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता को वन रक्षक के पद पर पदोन्नत करे। अदालत ने यह निर्णय याचिकाकर्ता राजकुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
याचिकाकर्ता वन पर्यवेक्षक कुल्लू कार्यालय में सेवादार के पद पर तैनात है। अदालत को बताया गया कि वन रक्षक के पद के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत सेवादार के पद से 10 प्रतिशत कोटा है। नियमों के तहत 10 प्रतिशत कोटे के तहत उन सेवादारों को वन रक्षक के पद पर पदोन्नत किया जा सकता हैं, जो सेवादार पांच वर्ष की नियमित सेवाएं पूरी करते हैं। आरोप लगाया गया था कि विभाग ने सेवादार के बजाए जमादार के पद से 10 प्रतिशत कोटे के तहत वन रक्षक की पदोन्नति की।
जबकि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में जमादार से वन रक्षक के पद पर पदोन्नति का कोई नियम नहीं है। अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत पूरी तरह से योग्य था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी को अनुचित लाभ देते हुए उसे जमादार के पद से वन रक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई। अदालत ने मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि प्रतिवादी की पदोन्नति भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत है। अदालत ने प्रतिवादी की पदोन्नति को निरस्त करते हुए यह निर्णय सुनाया।
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