India News,(इंडिया न्यूज), HP Highcourt: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पेंशन से जुड़े मामले में अहम निर्णय सुनाया है। अदालत ने कहा कि पेंशन कर्मचारी को दिया जाने वाला कोई इनाम नहीं बल्कि यह लंबी और संतोषजनक सेवा देने के लिए अर्जित की जाती है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया। अदालत ने याचिकाकर्ता को एक महीने के भीतर पेंशन अदा करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता याचिका दायर करने की तारीख से तीन साल पहले मौद्रिक लाभ का हकदार होगा।
अदालत ने कहा कि पेंशन संविधान की सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप एक सामाजिक सुरक्षा योजना है। यह सेवानिवृत्ति के बाद की अवधि के लिए एक सहायता है। याचिकाकर्ता वर्ष 1991 में जल शक्ति विभाग में दैनिक वेतन के आधार पर फिटर के रूप में कार्यरत था। उसकी सेवाएं वर्ष 2002 में नियमित कर दी गईं। नियमित आधार पर 8 वर्षों तक सेवाएं देने के बाद वह वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त हो गया। याचिकाकर्ता ने सेवानिवृत्ति के 12 साल बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने पाया कि पेंशन का दावा बार-बार होने वाली कार्रवाई का कारण है।
याचिका दायर करने में देरी से याचिकाकर्ता ब्याज देने का हकदार नहीं होगा, लेकिन वह निश्चित रूप से संभावित रूप से मौद्रिक लाभ का हकदार है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर पेंशन का हकदार पाया, जिसमें कहा गया था कि एक नियमित कर्मचारी के रूप में प्रदान की गई सेवाओं की गणना पहले की जा सकती है। उसके बाद दैनिक वेतनभोगी के रूप में प्रत्येक पांच साल की सेवा के लिए एक साल की नियमित सेवा की दर से घटक जोड़ा जाए। अगर सेवा की अवधि आठ साल से ज्यादा और दस साल से कम है, तो उसे दस साल के रूप में गिना जाएगा।
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