हाइड्रापोनिक खेती बनी व्हाईट काॅलर जाॅब: कुलपति एच.के.चैधरी

कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी मीडिया को हाइड्रापोनिक और हाईटेक नर्सरी के बारे में जानकारी देते हुए।

हाइड्रापोनिक खेती बनी व्हाईट काॅलर जाॅब: कुलपति एच.के.चैधरी

  • बिना मिट्टी के सिर्फ पानी से, बीमारी व कीटाणु रहित होने के साथ पर्यावरण हितैषी
इंडिया न्यूज, पालमपुर (Palampur Himachal Pradesh)।
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर Chaudhary Sarwan Kumar Himachal Agricultural University Palampur) के कृषि विज्ञान महाविद्यालय के सब्जी व पुष्प विज्ञान विभाग में सोमवार को मीडिया विजिट (Media Visit) का आयोजन किया गया। इस दौरान मीडिया कर्मियों को हाइड्रापोनिक (Hydroponic Farming) और हाईटेक नर्सरी (Hitech Nursery) के बारे में जानकारी दी गई। विजिट के दौरान कुलपति प्रो0 एच0 के0 चैधरी (Chancellor Prof H.K. Chaudhary) ने भी मीडिया कर्मियों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए बताया कि हाइड्रापोनिक (Hydroponic Farming) ऐसी विधि है जिसमें मिट्टी का प्रयोग नहीं करते हुए केवल पानी की मदद से खेती की जाती है। आने वाले भविष्य में इसका काफी उपयोग किया जाएगा क्योंकि यह बीमारी व कीटाणु रहित होने के साथ पर्यावरण हितैषी है। जहां पर भूमि की उपजाऊ क्षमता कम, खेती योग्य कम भूमि और वर्षा अधिक होती है वहां पर यह काफी उपयोगी है।

मीडिया को हाइड्रापोनिक और हाईटेक नर्सरी के बारे में जानकारी देते हुए।

उन्होंने बताया कि हाइड्रापोनिक खेती (Hydroponic Farming) में किसान छोटे-छोटे यूनिट लगा कर ताजा सब्जियों को प्राप्त कर सकते है। ऐसा करने से उनका समय और धन भी बचेगा और किसी भी वातावरण में फसल को तैयार किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि विभाग हाइड्रापोनिक खेती (Hydroponic Farming) में बांसों की उपयोगिता को देखते हुए कार्य करें। इससे किसानों को कम लागत पर इसे तैयार करने में मदद मिलेगी। इस तकनीक में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशिक्षण शिविरों को लगाएगा।

मीडिया को हाइड्रापोनिक और हाईटेक नर्सरी के बारे में जानकारी देते हुए।

सब्जी व पुष्प विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. डी.आर. चैधरी ने बताया कि उनके विभाग से 149 विद्यार्थी स्नातकोत्तर और 50 विद्यार्थी पीएचडी कर चुके है। वर्तमान में 32 विद्यार्थी स्नातकोत्तर और 17 पीएचडी कर रहे है। किसानों के लिए 38 वैराईटियों को विभाग द्वारा जारी किया गया है। 20 करोड़ के 11 प्रोजेक्ट विभाग में चल रहें है। प्राइवेट कंपनियों के 12 हाइब्रिड विभाग ने परीक्षण किए है।
हाइड्रापोनिक यूनिट इंजार्च डा0 संजय शर्मा ने इस दौरान हाइड्रापोनिक (Hydroponic) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खेती की इस तकनीक में कीटाणु और बीमारियों का असर फसल पर काफी कम रहता है। फसल बहुत तेजी से पैदा होती है और किसान एक वर्ष में कई बार इसे प्राप्त कर सकता है।
फास्ट फूड इडस्ट्री में प्रयुक्त होने वाली सब्जियों को इसमें प्रमुखता से तैयार कर सकते है। तुलसी (Basil), धनिया (Coriander), लेटयूज (Lettuce), पालक (Spinach) , मिर्च (Chilly) , पुदीना (Mint), खीरा (Cucumber)आदि को किसान हाइड्रापोनिक खेती (Hydroponic farming) से प्राप्त कर सकते है।
कृषि विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा0 डी0 के0 वत्स, शोध निदेशक डा0 एस0 पी0 दीक्षित और अन्य वैज्ञानिक इस दौरान मौजूद रहे।
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Shailesh Bhatnagar

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