Himachal Pradesh: विश्व जल दिवस के अवसर पर सीएम सुक्खू ने किया राज्य स्तरीय समारोह, कहा- 2026 तक हिमाचल बनेगा हरित ऊर्जा राज्य

Himachal Pradesh: विश्व जल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में जल के महत्व के दृष्टिगत जल संरक्षण के महत्व को समझने तथा इस बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्व जल दिवस के अवसर पर सभी लोगों को जल और स्वच्छता संकट के समाधान की दिशा में कार्य करने की भी आवश्यकता है। इस वर्ष के विश्व जल दिवस का विषय ‘एक्सलरेटिंग चेंज’ रखा गया है।

जल के उपयोग के तौर-तरीकों में बदलाव का किया आह्वान

उन्होंने जल के उपयोग और प्रबंधन के हमारे प्रतिदिन के तौर-तरीकों में बदलाव का आह्वान करते हुए कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत जनसंख्या को पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हमें जल की प्रत्येक बूंद बचानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों, कम या असमय बारिश और हिमपात के परिणामस्वरूप प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे हैं जो गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण जल संसाधनों के संरक्षण के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

31 मार्च, 2026 तक हिमाचल बनेगा हरित ऊर्जा राज्य


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नदियों का जल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए हमें ‘हरित उपाय’ अपनाने पर विशेष बल देना होगा ताकि हिमालय के ग्लेशियर और पारिस्थितिकी तंत्र पर ग्लोबल वार्मिंग का कम से कम प्रभाव पड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यूवी तकनीक के माध्यम से लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने की योजना बना रही है। राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को ‘हरित ऊर्जा राज्य’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस दिशा में आगे बढ़ते हुए हरित हाइड्रोजन से संबंधित एक महत्वपूर्ण समझौता शीघ्र ही होने जा रहा है।

5500 करोड़ रुपये व्यय के बावजूद नहीं मिला पेयजल- उपमुख्यमंत्री


इस मौके पर उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पेयजल के सीमित स्रोत हैं और सभी की सामूहिक भागीदारी से जल संरक्षण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जल संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा जल जीवन मिशन पर लगभग 5500 करोड़ रुपये व्यय करने के बावजूद दूरदराज क्षेत्रों में लोगों के घरों तक पेयजल की सुविधा नहीं मिल पाई।

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Mudit Goswami

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