Insulin pump: अब हिमाचल प्रदेश में जो बच्चे टाइप-एक मधुमेह से पीडि़त हैं, उन्हें बार-बार इंसुलिन का टीका लगवाने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केलांग में दस हजार फीट ऊंचाई पर रहने वाली बच्ची पर इसका सफल प्रयोग किया गया। प्रयोग के बाद बालिका का मधुमेह नियंत्रण में है। यह 500 से घटकर 100 तक हो गया है। इस बालिका के पिता ने रेडक्रास की मदद से दो लाख रुपये में पंप खरीदा था, लेकिन अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट में घोषणा की है कि राज्य सरकार इस मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं बच्चों को इंसुलिन पंप को निशुल्क उपलब्ध कराएगी।
मधुमेह के मरीज में दो तरह की बीमारी पाई जाती है। 90 फीसदी मरीज टाइप-दो मधुमेह से पीड़ित होते है। जबकि 10 प्रतिशत रोगियों में टाइप-एक पाया जाता है। टाइप एक मधुमेह से पीड़ित मरीजों को दिन भर में तीन से पांच बार इंसुलिन के टीके लगाए जाते हैं। इसके बाद भी मधुमेह को नियंत्रण में नहीं कर पाया जाता है। इसमें बच्चे भी शामिल होते हैं। बच्चों में एबडोबिनल वॅाल में पंप को लगाया जाता है। इससे लगातार इंसुलिन की आपूर्ति होती रहती है और इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट में घोषणा की थी कि टाइप-एक मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं और बच्चों को रोजाना इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे उनकी किडनी और अन्य अंगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इन गर्भवती महिलाओं और बच्चों को प्रदेश सरकार निशुल्क इंसुलिन पंप उपलब्ध करवाएगी।
इसे भी पढ़े- Himachal pradesh: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए बचनबद्ध