India news (इंडिया न्यूज़), Kangra News, कांगड़ा: सुडान में 15 अप्रैल को हिंसा होने के बाद वहां रहने वाले भारतीय खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे। सूडान में ही फंसे हिमाचल के कांगड़ा जिले की खुमडियां तहसील के मुंदल गांव के रहने वाले मनोहर लाल ने अपनी आपबीती बताई। मनोहर सूडान के हिंसा प्रभावित क्षेत्र काफूरी में रहते हैं। उन्होंने बताया कि जिस दिन से हिंसा शुरू हुई उसी दिन बिजली को काट दिया गया। 16 अप्रैल को पानी की सप्लाई को भी रोक दिया गया। खाना बनाने के लिए राशन था लेकिन बनाने के लिए पानी दूर-दूर तक नहीं था। भूखे प्यासे रहकर हिंसा प्रभावित क्षेत्र में आठ दिन गुराजे हैं।
सूडान में 15 अप्रैल को हिंसा शुरू हुई। इसके बाद सभी कार्यस्थलों को बंद कर दिया गया। मनोहर बताते हैं कि वह अपने साथियों के साथ एक आपर्टमेंट में बंद हो गए। बाहर गोलिया चलना और बम गिरना आम बात हो गया था। इस दौरान न तो बिजली की सुविधा थी और न ही इंटरनेट चल रहा था। वहीं बिजली न होने से पानी की सप्लाई भी बंद हो गई थी। अपार्टमेंट में खाना बनाने के लिए राशन तो था लेकिन खाना पकाने के लिए पानी नहीं था।
मनोहर ने बताया कि दो-तीन दिन के बाद एक कंपनी की तरफ से पानी की सप्लाई शुरू की गई, भारी भीड़ के बीच में से पानी को लाना पड़ता था। इसी बीच किसी तरह बस और समुद्र के रास्ते 900 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद सउदी के जद्दा पहुंचे, फिर वहां से हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली पहुंचे। इस बीच सूडान में उनका काफी सामान छूट गया। जिसमें पासपोर्ट भी शामिल है। एयरपोर्ट पर व्हाइट पासपोर्ट बनवाकर 28 अप्रैल को दिल्ली के लिए रवाना हुए और अब अपने घर पहुंच गए हैं।
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