India News (इंडिया न्यूज), Khushwant Singh Litfest, Himachal: कसौली की सर्द वादियों के बीच खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के पहले दिन का पहला सत्र खूब गर्म रहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और राजनीतिक अर्थशास्त्री व सामाजिक टिप्पणीकार परकला प्रभाकर ने देश की राजनीतिक पार्टियों पर सवाल उठाए और कहा कि आज के नए इंडिया के लिए राजनीतिक दल जिम्मेवार हैं। उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र में केवल नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा कुछ नहीं है।
मोदी सरकार तानाशाह है और अगर 2024 में फिर जीतकर सत्ता में आती है, तो देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ब्रांडिंग पर चल रही है। वह 80 फीसदी पैसा ब्रांडिंग पर खर्च कर रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में केवल ब्रांडिंग मोदी की हुई। अन्य दल भी अब इसका अनुसरण कर रहे हैं। एक योजना को दिखाने के लिए मोदी सरकार देशभर में बैनर व होर्डिंग्स लगा देती है, जिसमें केवल मोदी ही होते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा और महिला आरक्षण बिल लाने वाला शासन कितना संजीदा है इस बात का अंदाजा जंतर-मंतर में महिला रेस्लर्स का विरोध प्रदर्शन और 15 अगस्त को बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई से लगाया जा सकता है। उनकी नई किताब द क्रुक्ड टिंबर ऑफ न्यू इंडिया एसेज ऑन ए रिपब्लिक इन क्राइसिस पर चर्चा करते हुए मोदी सरकार को तानाशाह बताया। उन्होंने खुलकर भाजपा पर सवाल उठाए। इसका असर यह हुआ है कि लिटफेस्ट के दौरान रखी गई उनकी 200 में से 170 किताबें एक घंटे में बिक गईं।
तीन दिन तक चलने वाले इस लिटफेस्ट का थीम ‘दी रिवोल्यूशन विल नॉट बी टेलीविज्ड, बी द चेंज वांट टू सी’ रखा गया है। इसमें देश-विदेश के कई लेखक, साहित्यकार, चित्रकार, अभिनेता, सैन्य अधिकारी और राजनीति से जुड़ी बड़ी हस्तियां भाग ले रही हैं। राजनीतिक अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर के अलावा पहले दिन जयदीप मुकरजिया, आर गोपालकृष्णन और राहुल सिंह ने ‘लव ऑल’ विषय पर डिबेट की। इसके बाद इंद्राणी मुखर्जी ने ‘द सैकेंड बिकमिंग’ पर चर्चा की। अनिरुद्ध सूरी ने द फेलियर हेयर एंड नॉउ विषय पर चर्चा की। वहीं कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा ‘द मल्टी-हाइफेनेट’ विषय को उजागर किया गया।
परकला प्रभावर बोले, भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर 2014 का चुनाव जीता था। विकास के जो वादे किए थे, वे 2018 तक आते-आते खत्म कर दिए। भाजपा राजनीति नहीं, बल्कि व्यापार करती है। इसका अनुसरण अब देश की सभी पार्टियां भी करने लगी हैं। धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने वाली भाजपा अब हिंदुत्व को बढ़ावा दे रही है।
ये भी पढ़े- Devotion: शनिदेव के ऐसे 10 रहस्य जो कर देंगे आपको हैरान,…