India News (इंडिया न्यूज़), Kullu News, Himachal: प्राकृतिक आपदा से धंस रहे गांवों और दरक रही जमीन के कारणों का पता लगाने के लिए भू-वैज्ञानिकों की टीम सैंज घाटी पहुंच गई है। टीम घाटी के लगभग एक दर्जन गांव का दौरा कर मिट्टी और पानी के सैंपल लिए हैं। सैंज घाटी में दस जुलाई की बाढ़ और इस दौरान हुई भारी बारिश से दर्जनों गांव खतरे की जद में हैं। कई जगह जमीन धंस रही है और कई क्षेत्र में लगातार हो रहा भूस्खलन चिंता का विषय बना हुआ है।
गाड़ापारली, शैंशर, देहुरीधार, सुचैहण, दुशाहड़, देवगढ़ गोही, बनोगी, तलाडा और रैला पंचायतों के करीब दो दर्जन गांव से लोग पालायन कर पड़ोसी गांव में शरण लिए हुए हैं। प्रशासन ने दरक रही जमीन का निरीक्षण भू- वैज्ञानिकों से करवाने का फैसला लिया। भारी बारिश के दौरान विभिन्न स्थानों पर हुए अंधाधुंध भूस्खलन के मूल कारणों को जानने के लिए भू-वैज्ञानिकों की एक टीम सैंज पहुंच गई है।
रविवार दोपहर बाद करीब तीन बजे वरिष्ठ भूवैज्ञानिक तृप्ति बाबा की अध्यक्षता में पहुंची। जांच दल के सदस्यों ने गरशाला गांव, पार्वती डेम साइट और करटाह गांव के अलावा सैंज बाजार में हो रहे भूस्खलन क्षेत्र का जायजा लिया। वैज्ञानिकों की टीम ने विभिन्न स्थानों पर हो रहे भूस्खलन के पीछे की वजह जानने को लेकर तथ्य जुटाने के लिए मिट्टी और पानी के सैंपल भरे।
वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक तृप्ति बाबा ने बताया कि लगातार हो रहे भारी भूस्खलन वाले स्थानों का दौरा कर प्रारंभिक तौर पर जांच शुरू कर दी गई है। प्राकृतिक आपदा से हुए भारी नुकसान के कारणों की जांच के लिए हिमाचल सरकार ने वैज्ञानिकों की टीम को बुलाया है।