India News (इंडिया न्यूज़), Letter Bomb Case, Himachal: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चल रहे मानसून सत्र में शुक्रवार को बेनाम पत्र बम का मामला गूंजा। भाजपा के विधायक जनकराज ने इस मामले में व्यक्तिगत स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इस पत्र से उनके नाम को जोड़ने की बात हो रही है। इसलिए स्थिति स्पष्ट करना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि जिस कंप्यूटर में यह पत्र बम बना है, जांच वहां तक पहुंच गई है। जल्द ही इसका खुलासा होने जा रहा है। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। यह सरकार का दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि पत्र बम को लेकर विधायक जनक राज मुझसे मिले और कहा कि उनके घर में भी डाक से पत्र आया।
उन्होंने कहा कि जिसने इसे वायरल किया है, वह पार्टी कार्यकर्ता है। उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि किसी के पास अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत हैं तो वह लोकायुक्त में शपथपत्र देकर जांच की मांग कर सकता है। सीएम ने कहा कि यदि विधायक निर्दोष हैं तो उन्हें कुछ नहीं होगा। सरकार इस मामले में सच्चाई सामने लाकर रहेगी। इससे पहले विधायक जनक ने सदन में कहा कि 20 अगस्त को चिट्ठी वायरल होती है। 24 घंटे के भीतर मेरे विधानसभा क्षेत्र के व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है। पत्र बम में भाजपा और मेरा नाम जोड़ा जा रहा है। लोगों के फोन आ रहे हैं। मैंने कहा कि विधानसभा शुरू होने जा रही है, मैं वहीं स्थिति स्पष्ट करूंगा। उन्होंने कहा कि अगर पत्र बम के बारे में हमें मालूम होता तो विपक्ष के नाते इस मामले को विधानसभा में उठाते।
हिमाचल प्रदेश में आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की ओर से 31 मार्च 2022 को संपन्न कर्मचारी गणना के अनुसार विभिन्न विभागों में कुल 2,96,484 पद सृजित हैं। इनमें से 2,76,306 पद अराजपत्रित अधिकारियों और 2,178 पद राजपत्रित अधिकारियों के हैं। इन कर्मचारियों की नियुक्तियां 57 विभागों और कार्यालयों में की गई है। सबसे ज्यादा कर्मचारी शिक्षा विभाग में 1,08,792 हैं। लोक निर्माण विभाग में 43,360 कर्मचारी हैं। स्वास्थ्य विभाग में 24,527, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग में 31,530, पुलिस विभाग में 20,585 और वन विभाग में 9,373 पद हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यह जानकारी सदन में भरमौर के विधायक जनक राज के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान शुक्रवार को धर्मपुर से विधायक चंद्र शेखर के प्रश्न के लिखित उत्तर में ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि बीपीएल फर्जीवाड़ा रोकने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर संबंधित खंड विकास अधिकारी की ओर से अधिसूचित समिति के गठन के निर्देश दिए गए हैं। इस समिति में पंचायत सचिव, पटवारी, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि और बीडीओ की ओर से नामित सरकारी कर्मचारी और एक पंचायत प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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