Lok Adalat: हिमाचल के तीसरे ऑनलाइन लाक अदालत ने इस वर्ष निपटाए 45,300 मुकदमें

India News (इंडिया न्यूज़), Lok Adalat, Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में तीसरी ऑनलाइन लोक अदालत में शनिवार को 45,300 मुकदमों का निपटारा किया गया। सूबे की 133 लोक अदालत बेंचों में 1,00,100 मामले लगाए गए थे। निपटाए गए मामलों के दावेदारों को 89 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई। इस विशेष ऑनलाइन लोक अदालत के दौरान आम जनता को कंपाउंडिंग शुल्क/जुर्माने के ऑनलाइन भुगतान की सुविधा प्रदान की गई थी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रामचन्द्र राव और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान के कुशल मार्गदर्शन में हिमाचल प्रदेश की सभी अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस लोक अदालत में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

लोक अदालत ने इस साल निपटाए 1,23,957 मामले

इस वर्ष अभी तक लोक अदालत के जरिये 1,23,957 मामले निपटाए गए हैं। इससे पहले 13 मई को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 36,383 मामलों का निपटारा किया गया था और निपटाए गए दावेदारों को 53 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी। इस लोक अदालत के लिए 2,85,605 मामलों को चिह्नित किया गया था। 11 मार्च को इस वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में भी पक्षकारों ने बढ-चढ़कर भाग लिया था। इस लोक अदालत में 42,274 मामलों का निपटारा करते हुए 64.12 करोड़ रुपये की राशि दावेदारों में आवंटित की गई थी।

लोक अदालत के फैसले को नहीं दे पाएंगे चुनौती

लोक अदालत के निर्णय को सर्वोपरि माना जाता है। इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस निर्णय को सिविल अदालत के निर्णय के समान माना जाता है।

समय और पैसा बचाती है लोक अदालत

मामलों का त्वरित विचारण नागरिक का मूल अधिकार है। विचारण अथवा न्याय में विलंब से व्यक्ति की न्यायपालिका के प्रति आस्था में गिरावट आने लगती है। लोक अदालत के जरिये त्वरित विचारण की दिशा में कदम उठाने की अनुशंसा की गई है। यह निर्विवाद है कि लोगों को वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कई बार तो स्थिति यह बन जाती है कि पक्षकार मर जाता है लेकिन कार्यवाही जीवित रहती है। मुफ्त कानूनी सहायता के प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 39ए में वर्णित किया गया है। वर्ष 1987 में समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाया गया था। इसके तहत आर्थिक या कमजोर वर्गों को कानूनी सेवा के लिए लोक अदालत का प्रावधान रखा गया है। यह एक जनता की अदालत है जहां आपसी सुलह एवं समझौते से मामले का शीघ्र एवं सस्ते में निपटारा किया जाता है।

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Soumya Madaan

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