India News (इंडिया न्यूज़), Lok Adalat, Himachal: हिमाचल प्रदेश के सभी न्यायालयों में 9 सितंबर को प्री-लिटिगेशन और लंबित मामलों के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान के निर्देशानुसार वाहन चालान मामलों के निपटारे लिए एक विशेष ऑनलाइन लोक अदालत का आयोजन भी किया जा रहा है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इसके लिए पुलिस और परिवहन विभाग के साथ समन्वय किया जा रहा है। सभी पक्षकारों को मोबाइल संदेश से उनके मामले की जानकारी देने के साथ पोर्टल से आम जनता को कंपाउंडिंग शुल्क ऑनलाइन जमा करने की सुविधा भी दी जा रही है। विशेष रूप से ट्रैफिक मजिस्ट्रेट के न्यायालयों में वाहन चालान के मामले में ई-पे (ई-कोर्ट डिजिटल भुगतान) से कंपाउंडिंग शुल्क के भुगतान की ऑनलाइन सुविधा भी दी गई है।
लोगों को मोबाइल संदेश, जिंगल, आईईसी सामग्री के वितरण, स्थानीय निकायों, हितधारकों, गैर-सरकारी संगठनों, पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, पैरा लीगल वालंटियर्स, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं आदि के माध्यम से राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जागरूक किया जा रहा है। मामलों की प्रभावी पहचान के लिए स्थानीय बार, संघों, बीमा कंपनियों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों के साथ नियमित बैठकें हो रही हैं।
मामलों का त्वरित विचारण नागरिक का मूल अधिकार है। विचारण अथवा न्याय में विलंब से व्यक्ति की न्यायपालिका के प्रति आस्था में गिरावट आने लगती है। लोक अदालत से त्वरित विचारण की दिशा में कदम उठाने की अनुशंसा की गई है। यह निर्विवाद है कि लोगों को वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कई बार तो स्थिति यह बन जाती है कि वादार्थी मर जाता है परंतु कार्यवाही चलती रहती है।
मुफ्त कानूनी सहायता के प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 39 ए में वर्णित किया गया है। वर्ष 1987 में समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाया गया था। इसके तहत आर्थिक या कमजोर वर्गों को कानूनी सेवा के लिए लोक अदालत का प्रावधान रखा गया है। यह एक जनता की अदालत है जहां आपसी सुलह एवं समझौते से मामले का शीघ्र एवं सस्ते में निपटारा किया जाता है।
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