India News (इंडिया न्यूज़), Mandi News, Himachal: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के रिवालसर की पहाड़ियों पर कुंतभयो झील लंबे समय तक पानी से लबालब रह सकती है। अभी भी झील में पानी खतरे के निशान से बहुत ऊपर है। झील के इस विकराल रूप को देखकर सरकीधार और आसपास के इलाकों के लोग सहमे हैं। ब्यास समेत सहायक नदियों का जल स्तर सामान्य स्थिति पर पहुंच गया है, लेकिन पांच दशक बाद इस झील में इस कद्र पानी भरा है कि अब यह पूरी तरह से लबालब है। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों के अनुसार जमीन के पानी न सोखने से यह स्थिति लंबे समय तक रह सकती है।
ग्रामीण प्रेम शर्मा, रत्न चंद, ठाकर दास ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी भी इस झील का इतना विकराल रूप नहीं देखा। बीते 12, 13 और 14 अगस्त को हुई भारी बारिश से झील का जलस्तर इतना अधिक बढ़ गया कि झील के आसपास सदियों से रह रहे लोगों के घर तक पानी में डूब गए। अभी भी कुछ घरों के धरातल को पानी छू रहा है। दशकों पहले एक बार झील में जलभराव जरूर हुआ था लेकिन वह भी इतना नहीं था। लोगों के घर पूरी तरह से सुरक्षित थे। इस बार बारिश से आसपास के क्षेत्रों में काफी ज्यादा नुकसान हुआ। कुछ घर टूट गए और कुछ में दरारें आ गई हैं। सड़कें और स्कूल भी टूटे हैं।
यदि झील का पानी दो या ढाई फीट ऊपर चढ़ जाता तो झील टूट कर महाजलप्रलय ला सकती थी। झील के विकराल रूप को देखकर ग्रामीण खौफजदा हैं।बता दें कि कुंतभयो झील का इतिहास पांडव काल से जुड़ा है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान जब पांडव इन पहाड़ियों पर आए तो माता कुंती को प्यास लगी और अर्जुन ने इसी स्थान पर तीर मारकर पानी निकालकर उनकी प्यास बुझाई। इसी कारण इस झील का नाम कुंतभयो पड़ा। आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. दीपक स्वामी ने बताया कि कुंतभयो झील के तीनों तरफ पहाड़ हैं।
यहां झील में पानी आता रहेगा और भरता जाएगा। झील का जल स्तर कम करने के लिए तीन जरिये हैं। इनमें दो प्राकृतिक हैं तो एक मानव निर्मित हैं। प्राकृतिक रूप से पानी जमीन में अंदर जा सकता है। इसके अलावा पानी भाप बनकर उड़ सकता है। भाप बनकर पानी उड़ने की प्रक्रिया में समय लग सकता है। मानव इस झील के पानी को कम करने के लिए रास्ता बनाए। यह जरिया बिना किसी स्टडी व विशेषज्ञ के खतरनाक भी साबित हो सकता है। इससे भूस्खलन और अन्य समस्या पैदा हो सकती है।
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