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गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव देख मोदी सरकार को दिखी महंगाई: विक्रमादित्य सिंह

• LAST UPDATED : May 22, 2022

गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव देख मोदी सरकार को दिखी महंगाई: विक्रमादित्य सिंह

  • कहा- केंद्र की मोदी सरकार का पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने का निर्णय राजनैतिक हित सामने रख कर

इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh):

प्रदेश कांग्रेस महासचिव और विधायक विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार कोई भी निर्णय अपने राजनैतिक हित को सामने रख कर लेती है। उन्होंने कहा कि गुजरात (Gujarat) और हिमाचल प्रदेश (Himachal) में होने जा रहे विधानसभा चुनावों (assembly elections) को आते देख अब केंद्र की मोदी सरकार को पेट्रोल व डीजल के बढ़ते मूल्य के साथ-साथ महंगाई (inflation) नजर आने लगी है।

इसी के चलते पेट्रोल व डीजल से केंद्रीय एक्साइज को कम किया गया है, जबकि लोग कई महीनों से इसके बढ़ते मूल्यों से परेशान हो रहे थे। विक्रमादित्य सिंह ने केंद्र सरकार के पेट्रोल व डीजल पर से केंद्रीय एक्साइज कम करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह देर से लिया गया निर्णय है।

उन्होंने कहा कि लंबे समय से लोग पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से परेशान हो गए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4 उप-चुनावों में मिली करारी हार के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने तत्काल इसके मूल्यों में कुछ कटौती कर लोगों को थोड़ी राहत देने का प्रयास किया था।

उन्होंने कहा कि 4 राज्यों के चुनावों तक इसके दामों में कुछ स्थिरता रही लेकिन 5 राज्यों के चुनावों के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने इसके मूल्यों में भारी बढ़ोतरी कर लोगों को अपनी जीत का इसके मूल्यों में बढ़ोतरी का तोहफा दिया था।

एलपीजी सिलेंडर के दाम नहीं घटाए

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि एलपीजी सिलेंडर आज 1,000 रुपए से ऊपर चला गया है और सरकार ने इसके मूल्यों में कोई कटौती नहीं की है।

उन्होंने कहा कि देश में प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना दम तोड़ रही है। अब सरकार ने इन्हें भी 200 रुपए की सब्सिडी का ऐलान कर ऊंट के मुंह में जीरा देने का प्रयास किया है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए ठोस उपायों की बहुत जरूरत है। चुनावों के समय इस प्रकार की राहतें चुनावों में लाभ लेने के लिए और ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की एक राजनीतिक मंशा के अतिरिक्त कुछ नहीं है।

उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र सरकार इस घाटे की भरपाई किसी अन्य टैक्स से कर सकती है जोकि लोगों के साथ धोखा होगा।

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