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मवेशियों को लेकर घुमंतु गुज्जरों ने किया पहाड़ी क्षेत्रों का रूख ,जानिए इनकी दास्तां Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill

• LAST UPDATED : April 18, 2022

इंडिया न्यूज़, शिरमौर

Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill मैदानी इलाकों में पारा बढ़ने के साथ ही घुमन्तुं गुज्जरों ने पहाड़ी क्षेत्रों का रूख कर दिया है। इस समुदाय का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है फिर भी यह समुदाय अपने व्यवसाय से प्रसन्न है। पहाड़ो पर बर्फ एंव अत्यधिक सर्दी आरंभ होने पर यह घुमन्तु गुज्जर अपने परिवार व मवेशियों के साथ मैदानी क्षेत्रों में चले जाते हैं और गर्मियों के दौरान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहूंच जाते है।

घुमंतु गुज्जर समुदाय के लोग नारकंडा

Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill

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सबसे अहम बात यह है कि इस समुदाय के लोगों को बेघर होने का कोई खास मलाल नहीं है। आधुनिकता की चकाचौंध से कोसों दूर घुमन्तु गुज्जर वर्ष भर भैंस के जंगल-जंगल घूमकर कठिन व संघर्षमय जीवन यापन करते हैं। बता दें कि गर्मियों के दिनों घुमंतु गुज्जर समुदाय के लोग नारकंडा, चांशल और चूड़धार के जंगलों में रहते हैं। जबकि सर्दियों के दौरान नालागढ़, बददी, पांवटा, दून और सिरमौर जिला के धारटीधार क्षेत्र में चले जाते हैं।

Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill

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समुदाय रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता है

सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति में इस समुदाय का कोई सरोकार नहीं है। सोशल मीडिया , फेसबुक , इंटरनेट , सियासत इत्यादि से इस समुदाय का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। यह लोग अपने सभी रीति रिवाजों व विवाह इत्यादि सामाजिक बंधनों को जंगलों में मनाते हैं। सर्दी, बरसात, गर्मी के दौरान गुज्जर समुदाय के लोग जंगलों में रातें बिताते हैं। बीमार होने पर अपने पारंपरिक दवाओं अर्थात जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करते हैं।

Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill

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मवेशियों को लेकर नारकंडा जा रहे शेखदीन व कमलदीन गुज्जर ने बताया कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने पर भी किसी भी सरकार ने उनके संघर्षमय जीवन बारे विचार नहीं किया और भविष्य में उमीद भी नहीं है। इनका कहना है कि दो जून की रोटी कमाना उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। दूध, खोया, पनीर इत्यादि बेचकर यह समुदाय रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता है। हालांकि कुछ गुज्जरों को सरकार ने पट्टे पर जमीन अवश्य दी है परंतु अधिकांश गुज्जर घुमंतु ही है।

जंगली जानवरों से जान बचाना मुश्किल हो जाता है (Nomadic Gurjar Turned To Ghoom Hill)

शेखदीन का कहना है कि विशेषकर बारिश होने पर खुले मैदान में बच्चों के साथ रात बिताना बहुत कठिन हो जाता है। बताया कि उनके बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं। सरकार ने घुमंतु गुज्जरों के लिए मोबाइल स्कूल अवश्य खोले हैं परंतु स्थाई ठिकाना न होने पर यह योजना भी ज्यादा लाभदायक सिद्ध नहीं हो रही है।

घुमंतु गुज्जर अपने आपको मुस्लिम समुदाय का मानते हैं परंतु इनके द्वारा कभी न ही रोजे रखे गए हैं और न ही कभी नमाज पढ़ी जाती है। कमलदीन का कहना है कि अनेकों बार जंगलों में न केवल प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। बल्कि जंगली जानवरों से जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

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