Orange Peel gives Green Energy संतरे के छिलके से ग्रीन एनर्जी

  • आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने संतरे के छिलके से प्राप्त हाइड्रोचार का उपयोग कर बायोमास के रसायनों से बायो फ्यूल प्रीकर्सर बनाया
  • शोधकर्ताओं द्वारा विकसित विधि से बायोमास से स्वच्छ हरित ऊर्जा उत्पादन में मदद मिलेगी।

इंडिया न्यूज, मंडी।

Orange Peel gives Green Energy : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने संतरे के छिलके से प्राप्त हाइड्रोचार का बतौर उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) उपयोग कर बायोमास से उत्पन्न रसायनों से बायोफ्यूल प्रीकर्सर बनाया है।

इस शोध से बायोमास से ईंधन विकसित करने में मदद मिलेगी जो गिरते पेट्रोलियम भंडार के चलते सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरताओं को दूर करने में मदद करेगी।

शोध टीम के निष्कर्ष हाल में ‘ग्रीन केमिस्ट्री ’जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। शोध के प्रमुख स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेंकट कृष्णन हैं और सह-लेखक उनकी छात्रा तृप्ति छाबड़ा और प्राची द्विवेदी हैं।


देश में प्राकृतिक पदार्थों के बायोमास से उत्पन्न ऊर्जा वर्तमान में कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के बाद चैथा सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा का स्रोत है जो ऊर्जा की मांग पूरा करने में सक्षम है।

जंगल और खेती के अवशेषों से प्राप्त लिग्नो सेल्यूलोसिक बायोमास (उदाहरण के तौर पर) को विभिन्न विधियों से विभिन्न उपयोगी रसायनों में परिवर्तित किया जा सकता है।

इन विधियों से बायोफ्यूल बनाने में उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) की विशेष भूमिका है क्योंकि ये प्रक्रियाएं न्यूनतम ऊर्जा लगाकर की जा सकती हैं और सही प्रकार के उत्प्रेरक और प्रतिक्रिया की परिस्थितियां चुनकर इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है कि बायोमास से प्राप्त उत्पाद किस प्रकार का होगा।


इस शोध के बारे में डॉ0 वेंकट कृष्णन ने बताया,‘‘अक्षय ऊर्जा पर कार्यरत समुदाय के लोग दिलचस्पी के क्षेत्रों में एक बायोमास को ईंधन सहित उपयोगी रसायनों में बदलने के लिए अधिक स्वच्छ और अधिक ऊर्जा सक्षम प्रक्रियाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं।


बायोमास कन्वर्शन (ऊर्जा में बदलने) का सबसे सरल और सस्ता उत्प्रेरक हाइड्रोचार पर शोधकर्ताओंने अध्ययन किया है। यह आमतौर पानीके साथ बायोमास कचरे (इस मामले में संतरे के छिलके) को गर्म कर प्राप्त होता है।

इसमें हाइड्रोथर्मल कार्बाेनाइजेशन की प्रक्रिया होती है। इस कन्वर्शनमें बतौर उत्प्रेरक हाइड्रोचार का उपयोग अधिक लाभदायक है क्योंकि यह नवीकरणीय है और इसकी रासायनिक और भौतिक संरचना बदलकर उत्प्रेरक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

शोधकर्ताओं ने बायोमास से प्राप्त रसायनों को बायोफ्यूल प्रीकर्सर में बदलने के लिए बतौर उत्प्रेरित संतरे के छिलके से प्राप्त हाइड्रोचार का उपयोग किया है।

इसमें सूखे संतरे के छिलके के पाउडर को साइट्रिक एसिड के साथ हाइड्रो थर्मल रिएक्टर (लैब ‘प्रेशर कुकर’) में कई घंटों तक गर्म किया गया। इससे उत्पन्न हाइड्रोचार को अन्य रसायनों के साथ ट्रीट किया गया ताकि इसमें एसिडिक सल्फोनिक, फॉस्फेट और नाइट्रेट फंक्शनल ग्रुप आ जाएं।

तृप्ति छाबड़ा ने इस शोध के बारे में बताया कि, ‘‘हमने फ्यूलप्रीकर्सर उत्पन्न करने के लिए इन तीन प्रकार के उत्प्रेरकों का उपयोग लिग्नो सेल्यूलोज से प्राप्त कम्पाउंड2-मिथाइलफ्यूरन और फ़्यूरफ़्यूरल के बीच हाइड्रॉक्सिलकेलाइज़ेशन एल्केलाइज़ेशन (एचएए) प्रतिक्रियाओं के लिए किया।

वैज्ञानिकों ने सल्फोनिक कार्यात्मक हाइड्रोचार कैटलिस्ट को इस प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करने में प्रभावी पाया जिससे अच्छी मात्रा में बायोफ्यूल प्रीकर्सर पैदा हो सकता है।

इस शोध के हैड डॉ0 वेंकट कृष्णन ने कहा, ‘‘हम बिना साल्वेेंट और तापमान कम किए बिना बायोफ्यूल प्रीकर्सर सिंथेसाइज़ करने में सफल रहे। इससे प्रक्रिया की कुल लागत कम होगी और यह पर्यावरण अनुकूल और उद्योग के दृष्टिकोण से आकर्षक होगा।’’


यह तीन प्रकार के एसिडिक फंक्शनलाइजेशन का आकलन करता पहला तुलनात्मक अध्ययन है। शोधकर्ताओं ने ग्रीन मीट्रिक कैलकुलेशन और टेम्परेचर प्रोग्राम्डडिजाॅप्र्शन (टीपीडी) अध्ययन भी किया ताकि संतरे के छिलके से प्राप्त कार्यात्मक हाइड्रोचार में सल्फोनिक, नाइट्रेट और फॉस्फेट की उत्प्रेरक गतिविधि की गहरी सूझबूझ प्राप्त हो।

बायोमास कन्वर्जन के लिए ऐसे कैटलिस्ट का विकास देश में जैव ईंधन उद्योग के लिए शुभ संकेत है। यह भी उल्लेख करना होगा कि हाल के वर्षों में भारत बायोमास से बिजली बनाने में अग्रणी देश बन गया है।

2015 में भारत ने बायोमास, छोटे जल विद्युत संयंत्र और कचरे से ऊर्जा सयंत्रों के माध्यम से 15 जीडब्ल्यू बिजली पैदा करने के लक्ष्य की घोषणाकी। पांच वर्षों के अंदर हमारे देश ने 10 जीडब्ल्यू बायोमास बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। Orange Peel gives Green Energy

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Shailesh Bhatnagar

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