India News (इंडिया न्यूज़), Power Tariff Hike, Himachal News: हिमाचल प्रदेश में उद्योगों के लिए बिजली महंगी हो गई है। प्रदेश सरकार ने उद्योगों पर लगने वाले बिजली शुल्क को डेढ़ गुना तक बढ़ा दिया है। एक सितंबर से प्रदेश में नई बिजली दरें उद्योगों पर लागू हुई हैं। घरेलू, कृषि और सिंचाई उपभोक्ताओं के लिए शुल्क नहीं बढ़ाया गया है। बिजली शुल्क बढ़ाने के लिए सरकार को विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी लेना भी जरूरी नहीं होती है।
अगर सरकार उद्योगों पर सेस लगाती तो मंजूरी लेना अनिवार्य था। नई दरों के तहत एचटी (हाई टेंशन) के अधीन आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगों पर शुल्क 11 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सीमेंट संयंत्रों पर शुल्क 17 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे प्रदेश में सीमेंट के दाम बढ़ने की संभावना बन गई है।
डीजल जनरेटर सेट द्वारा बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया गया है। स्टोन क्रशर पर बिजली शुल्क 25 प्रतिशत लगेगा। सरकार ने कैप्टिव उत्पादन और हरित ऊर्जा पर विद्युत शुल्क में दी गई छूट भी वापस ले ली है। ऊर्जा महकमे की ओर से बिजली शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया गया था। 24 अगस्त को हुई कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव नहीं आया था। सरकार ने सर्कुलेशन के माध्यम से सभी मंत्रियों को यह प्रस्ताव भेजकर मंजूर करवाया है। वहीं उद्योग जगत के विभिन्न संगठन तथा भाजपा द्वारा इस बढ़ोतरी का विरोध शुरू कर दिया है।
मंदी और आपदा के दौर से गुजर रहे उद्योगों को सरकार ने बिजली की दरें बढ़ाकर झटका दे दिया है। इसे लेकर कालाअंब के औद्योगिक संगठनों ने दरें कम करने के लिए प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने 2 से 19 फीसदी तक विद्युत की दरों में बढ़ोतरी की है। विद्युत दरें बढ़ने से उद्योगों की और हालत खस्ता हो गई है। मंदी के कारण उद्योगों में पहले ही उत्पादन 25 फीसदी कम हो रहा है।
कालाअंब के प्रमुख औद्योगिक संगठनों में लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष विकास बंसल और महासचिव अभिनव कांसल, चैंबर ऑफ काॅमर्स के अध्यक्ष दीपन गर्ग, रमेश गोयल, मनोज गर्ग, रजनीश, हिमाचल स्टील एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग, जेपी शर्मा, सुरेंद्र जैन, सुशील कुमार ने बताया कि सस्ती विद्युत दरों की वजह से प्रदेश मेें निवेश किया जा रहा था लेकिन बढ़ी हुई विद्युत दरों के चलते अब निवेशकों को सोच विचार कर निवेश करना पड़ेगा।
वर्तमान समय में विद्युत दरों में भारी भरकम बढ़ोतरी से उद्योग चलाना मुश्किल हो गया है। अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में विद्युत महंगी हो गई है। लिहाजा कालाअंब के सभी उद्यमियों ने सरकार से विद्युत दरें बढ़ाने के फैसले पर पुन: विचार करके फैसला वापस लेने की अपील की है। अन्यथा मजबूरन उद्योगों को यहां से पलायन करने पर विवश होना पड़ेगा। बता दें कि पांवटा साहिब और कालाअंब में 500 के करीब उद्योग हैं।
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