इंडिया न्यूज़, कुल्लू
समुद्रतल (sea level) से 13,050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रा (Rohtang Pass) में स्थित ब्यास नदी (beas river) के पास स्थित मंदिर के द्वार खोल दिए गए हैं। उद्गम स्थल ब्यास मंदिर के द्वार करीब छह महीने के बाद खुले हैं। ब्यास ऋषि (Beas Rishi) के मंदिर के द्वार खोलने के लिए ऊझी घाटी (Ujhi Valley) के लोगों ने पहले रास्ता बनाया फिर मंदिर के द्वार खोले। अब रोहतांग दर्रा पर पहुंचने वाले पर्यटक ब्यास नदी के उद्गम स्थल का भी दर्शन कर सकेंगे। युवाओं ने मंदिर के द्वार खोले और फिर व्यास ऋषि की पूजा भी की।
आपको बता दे की ब्यास नदी का पुराना नाम अर्जिकिया (arjikiya) या विपाशा है। इस 460 किलोमीटर लंबी ब्यास नदी का उद्गम स्थल रोहतांग दर्रा में स्थित ब्यास ऋषि का मंदिर है। हिमाचल में इस नदी की लंबाई देखें तो यह 256 किलोमीटर लम्बी है। भारी बर्फबारी के कारण रोहतांग दर्रा में करीब छह महीने के लिए ब्यास मंदिर के दरवाजे बंद हो जाते हैं। आपको बता दे की दो दिन पहले ही रोहतांग दर्रा के पर्यटकों के लिए यहाँ की दरवाजे खोले गए।
इनसे ही पर्यटकों का रोहतांग जाना शुरू हो पाया है। रोहतांग दर्रा में कारोबार करने वाले लोगों ने ब्यास के दरवाजे खोल दिए हैं। इसमें युवाओं के नाम इस प्रकार हैं। कोढ़ी गांव से युवा खेमराज ठाकुर, रुआड़ गांव से मनोज और देवी सिंह व् चांगु ने बर्फ हटा कर ब्यास मंदिर तक का रास्ता बनाया।
रोहतांग दर्रा बहाल होने के बाद पर्यटकों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। शनिवार को यहाँ काफी भीड़ जुटी और रोहतांग से शुक्रवार को 580 वाहन गए थे। शनिवार के लिए भी करीब 900 परमिट जारी कर दिए गए हैं। रोहतांग दर्रा के लिए एक दिन में कुल 1,200 वाहनों को ही जाने की अनुमति मिली है।