India News (इंडिया न्यूज़), Shannon Project, Himachal, संवाददाता श्वेता नेगी: हिमाचल प्रदेश में इस वक्त शानन पावर प्रोजक्ट पर चर्चाएं चल रही हैं. चर्चाएं हो भी क्यों ना हिमाचल के स्वामित्व की बात है. और उस पट्टे की बात है जिसे हिमाचल सरकार ने 99 साल की अवधि के लिए पंजाब सरकार को दिया था. इस पावर प्रोजेक्ट को लेकर कई भ्रातियां भी है जिसमें पहली ये है कि आखिरकार इस प्रोजेक्ट को लीज पर पंजाब सरकार को दिया गया था और वो लीज अब खत्म होने वाली है और लीज के खत्म होने से पहले इस मसले का हल प्रदेश सरकार चाहती है. कुछ लोग इसे राजनीति के चशमें से भी देख रहे हैं. क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव होने है हिमाचल की 4 सीटें मायने रखती हैं. आपको बता दें इसी मसले का हल ढूंढने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह, पंजाब के सीएम भगवंत मान और हिमाचल के सीएम में बैठक अमृतसर में हुई.
बैठक शुरू होने से पहले CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि हमारे पास पानी नहीं है, हमारे पास केवल रॉ मेटिरियल है. सीएम ने पंजाब की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब प्रोजेक्ट फ्री हो चुके हैं. आप इतना पैसा कमा रहे हैं उसका कुछ प्रतिशत हमें भी दे दीजिए. दरअसल सीएम हिमाचल इशारा करना चाहते थे कि इस वक्त हिमाचल प्रदेश भारी आपदा से जूझ रहा है. और इसकी भरपाई कब होगी इस बात का फिलहाल फैसला नहीं किया जा सकता. सीएम सुक्खू का कहना था कि अगर शानन प्रोजेक्ट का स्वामित्व हिमाचल को मिल जाए तो इससे आने वाले वक्त में हिमाचल को फायदा हो सकता है और प्रदेश जो भारी आपदा से जूझ रहा है उसमें सहायता मिल सकती है. आपको बता दें पंजाब इस प्रोजेक्ट का विवादित मालिक है पंजाब पुनरगठन अधिनियम 1966 के तहत PSEB पूरी तरह से पंजाब सरकार के अधीन है.
दरअसल मंडी के राजा जोगिंदर सेन बहादुर और पंजाब के इंजीनियर BC बैटी के बीच एक समझौता हुआ था. और उस समझौते में इस प्रोजेक्ट का स्वामित्व पंजाब सरकार को मिला था. इसके बाद 1966 में इस प्रोजेक्ट को न्यू पंजाब को सौंप दिया गया. दरअसल हिमाचल सरकार ने ये तय कर लिया है कि वो पट्टे का नवीनीकरण या विस्तार नहीं करेगा. हिमाचल प्रदेश चाहता है कि लीज अवधि समाप्त होने के बाद ये परियोजना राज्य को सौंप दी जाए. दूसरी ओर, पंजाब सरकार अपनी बेशकीमती परियोजना को छोड़ने के मूड में नहीं है और इसे बरकरार रखने के लिए कानूनी सहारा लेने को भी तैयार है.परियोजना पंजाब सरकार के निरंतर स्वामित्व और कब्जे की है और उस कब्जे को बरकरार रखने की है. 110 मेगावाट की शानन बिजली परियोजना की परिकल्पना 1922 में पंजाब सरकार के तत्कालीन मुख्य अभियंता कर्नल बट्टी ने की थी. परियोजना का पहला चरण 1932 में शुरू किया गया था. इस परियोजना का निर्माण कार्यान्वयन के बाद किया गया था.
शानन परियोजना को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के अनुसार पंजाब राज्य को आवंटित किया गया था. अधिनियम के तहत, शानन परियोजना को भारत सरकार के सिंचाई और बिजली मंत्रालय ने पंजाब राज्य को आवंटित किया था. हिमाचल सरकार की दलील है कि ये प्रोजेक्ट मंडी में स्थित है और फिर भी इसका स्वामित्व पंजाब सरकार के पास है. और हिमाचल सरकार पट्टे का नवीनीकरण और विस्तार के विकल्प में नहीं है. वहीं पर पंजाब सरकार का कहना है कि 1925 में ये पट्टा पंजाब सरकार को दे दिया गया है. और अधिनियम 1966 के मुताबिक इस जमीन पर अधिकार पंजाब सरकार का है. पंजाब पुनरगठन अधिनियम को पढ़ा जाए तो इसमें शानन प्रोजक्ट के स्वामित्व के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है.
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