India News (इंडिया न्यूज़), Shimla News, Himachal: विदेशी सेब पर आयात शुल्क घटाए जाने पर हिमाचल के बागवान भड़क गए हैं। फैसल के विरोध में बागवान सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बागवानों का मानना है कि इससे हिमाचल का सेब बाजार में पिट जाएगा। विदेशी सेब का आयात बढ़ेगा। अफगानिस्तान के रास्ते से आ रहे ईरान के सेब की मार हिमाचली सेब पर सबसे ज्यादा पड़ रही है। प्रदेश के बागवान सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी तक करने के लिए सरकार पर लंबे अरसे से दबाव बना रही है लेकिन आयात शुल्क घटाने पर बागवानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। अमेरिका से भारत आने वाले सेब पर 35 फीसदी आयात शुल्क घटाए जाने की बात सामने आ रही है।
बागवान संघ मुख्यमंत्री और बागवानी मंत्री के माध्य से यह मामला केंद्र में उठाएंगे। हिमाचल में हर साल 5,000 हजार करोड़ का कारोबार सेब से किया जाता है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सेब की अहम भूमिका रहती है। अधिकांश बागवानों की सालभर की कमाई भी सेब पर ही टिकी है। दूसरी ओर विदेशी सेब ने हिमाचल के बागवानों के सामने चुनौती खड़ी कर रखी है। पहले से ही बड़ी मात्रा में विदेशी सेब के आने से हिमाचल के सेब को अच्छे रेट नहीं मिल रहे हैं।
देश में विश्वभर के करीब 44 देशों से सेब का आयात हर साल किया जाता है। इन देशों में ईरान, टर्की, चिली, वाशिंगटन, इटली, फांस, न्यूजीलैंड आदि प्रमुख हैं। चीन से भी सेब का आयात होता रहा था। अब चीन के सेब के आयात पर रोक लगी है। इन सभी देशों में सेब पर पचास फीसदी आयात शुल्क लगा है। वाशिंगटन में ही सेब पर आयात शुल्क 75 फीसदी तक है। वाशिंगटन के सेब पर आयात शुल्क वर्ष 2018 में बढ़ाया गया था।
बागवानों के प्रतिनिधि कहते हैं कि विश्व व्यापार संगठन के समझौते के अनुसार आयात शुल्क 75 फीसदी तक लगाया जा सकता है। सेब में सिर्फ 50 फीसदी आयात शुल्क लगा है। माना जा रहा है कि आयात शुल्क के कम होने से हिमाचली सेब के समक्ष विदेशी सेब की चुनौती बढ़ेगी।
प्रदेश में बागवानों के प्रतिनिधि सेब पर आयात शुल्क बढ़ाकर सौ फीसदी करने का मामला केंद्र और राज्य की विभिन्न सरकारों के सामने उठाते रहे हैं। केंद्र में हिमाचल के मंत्री तथा नेताओं द्वारा भी भाजपा सरकार के सामने भी यह मामला लगातार उठाया गया है।
हिमाचल के फल तथा सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर का कहना हैं कि विदेशों से आयात हो रहा सेब हिमाचल के सेब के लिए चुनौती बन रहा है। सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मामला वर्ष 2012 से लगातार उठाया जाता रहा है। अभी तक प्रदेश के बागवानों को राहत नहीं मिली है। ईरान का सेब अफगानिस्तान के रास्ते देश में आ रहा है और प्रदेश के बागवानों को इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क घटाने से बागवान सड़कों पर उतरेगा।
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