India News(इंडिया न्यूज़), Shimla News: जाखू मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ भक्तों की आस्था का प्रतीक भी है। यह मंदिर शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं इसमें भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है, जिसके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वहीं यह पर विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के पीछे का ऐतिहास की ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर चल पड़े।
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी, तो वे वहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट करी और उसके बाद आराम किया। वहीं भगवान हनुमान जी ने ऋषि यक्ष से वापस लौटते समय भेंट करने का वादा किया था, पर वापस लौटते समय देर होने की वजह से भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए। जिसके बाद ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे और उसी की वजह से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए।
बता दें आज भी इस मंदिर में भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं। क्योंकि यह माना जाता हैं कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर का नाम ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा। जिस वजह से इससे जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है।