India News(इंडिया न्यूज़) Shimla: शिमला नगर निगम चुनाव ( MC Shimla Election) 2 मई को होने वाले है। चुनाव का दिन मतदान देने वाला मतदाता, चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार, चुनाव लड़ने वाली पार्टी और चुनाव करने वाले कार्यकर्ता सभी के लिए एक खास त्योहार की तरह होता हैं। वहीं इस बार का शिमला नगर निगम चुनाव जनता के लिए कई मायनों में खास है। एक तरह पीछले साल ही होने वाला चुनाव एक साल की देरी से हो रहा है। वहीं दूसरी तरह प्रदेश में सत्ता परिवर्तन ने भी इस चुनाव को खास बना दिया है। अगर हम शिमला नगर निगम चुनाव के इतिहास के पन्नों को थोड़ा पलटे तो हमें पता चलेगा कि शिमला नगर निगम चुनाव इनसे भी अधिक मायनों में खास है।
मालूम हो कि शिमला की जलवायू ब्रिटिश शासन (British Era)से हि अग्रेंजों के लिए खास रही है। इसी लिए ये जगह ब्रिटिश शासन के लिए ग्रिष्मकालिन राजधानी रहा करती थी। वैसे तो शिमला जिला अपने वर्तमान रूप में राज्य के जिलों के पुनर्गठन पर 1 सितंबर 1972 से अस्तित्व में आया, लेकिन ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1851 में अस्तित्व में आया था। आजादी से पहले हिमाचल के साथ शिमला और पंजाब (Punjab) एक ही पंजाब का हिस्सा थे। सबसे पहले शिमला नगर निगम का दफ्तर गेयटी थिएटर की ऐतिहासिक भवन के टॉप फ्लोर पर हुआ करता था। साल 1905 में आए भूकंप के बाद गेयटी थिएटर से इसे म्युनिसिपालिटी को टाउन हॉल के बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया। मालूम हो कि शिमला नगर निगम साल 1907 में बनी टाउन हॉल (Town Hall) के भवन में चलता आ रहा है।
साल 1986 में पहली बार नगर निगम शिमला के चुनाव हुए थे। सबसे पहले शिमला नगर निगम के मेयर आदर्श कुमार सूद थे, जो की कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव लड़े थे। काग्रेस पार्टी के लिए शिमला कि जनता लगातार महरबान साबित हुआ है। साल 1986 से लेकर साल 2012 तक लगातार कांग्रेस पार्टी का ही नगर निगम शिमला पर कब्जा रहा है। साल 2012 में तत्कालीन बीजेपी धूमल सरकार ने शिमाल नगर निगम में बदलाव भी किए, लेकिन बीजेपी को सत्ता नहीं मिल सकी। । साल 2012 में मकपा पार्टी से संजय चौहान मेयर। बीजेपी ने लंबे सर्घष के बाद साल 2017 में पहली बार नगर निगम शिमला मेयर पद का चुनाव जीता औरकुसुम सदरेट बीजेपी की पहली मेयर बनी। जिसके बाद 2019 में भी नगर निगम में बीजेपी का कब्जा रहा।