इंडिया न्यूज़, हिमाचल प्रदेश: होली के मौके पर घरों में कुछ बने या न बने लेकिन गुजिया जरूर बनती है। इस रंग के त्योहार पर आपको हर घर में गुजिया खाने को मिल जाएगी। बस इसके स्वाद में फर्क हो सकता है क्योंकि किसी को मेवा की गुजिया खाना पसंद होता है और किसी को सूजी की। वहीं अब बेसन और नारियल की स्टफिंग के साथ भी गुजिए को बनाया जा रहा है। त्योहारों पर इसे खाने से खुद को रोक पाना मुश्किल सा हो जाता है। लेकिन हम त्योहारों की खुशी में अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। हम बेधड़क होकर तली-भुनी, नमकीन और मीठी चीजों को खाते हैं और बाद में सेहत खराब होने पर सिर पकड़कर बैठ जाते हैं।
होली के मौके पर जहां भी जाओ गुझिया का सेवन करना पड़ता है। गुजिया में लगभग 150 से 200 कैलोरी होती है। गुजिया की 100 ग्राम मात्रा में वसा- 16.74 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट- 69.19 ग्राम, प्रोटीन- 4.58 ग्राम पाया जाता है। आप सोच रहे होंगे कि वसा की तुलना में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा है तो अनहेल्दी कैसे हुआ।, लेकिन आपको बता दें कि 34% वसा में लगभग 10 ग्राम संतृप्त वसा होती है जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। इसमें सिर्फ 0.96 ग्राम पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और 4.48 ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड वसा होती है। कार्बोहाइड्रेट के सेवन में भी खासतौर से चीनी (47.26 ग्राम) होती है। फाइबर, सोडियम और पोटैशियम न्यूनतम मात्रा में होते हैं।
लोग पहले घरों में गुजिया बनाते थे वहीं अब अधिकतर लोग बाजार से गुजिया खरीद रहे हैं। जिनको दिखने में अच्छा और स्वाद बढ़ाने के लिए रंगों को प्रयोग किया जाने लगा है और इन्हें सस्ते ऑयल में फ्राई किया जाता है। ये तेल एक बार नहीं बल्कि कई बार इस्तेमाल में लाया जाता है जो सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। यह संतृप्त वसा कई सारी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है, जिससे आप परेशान हो सकते हैं। वहीं खोए से बनी गुजिया के ज्यादा सेवन से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।
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