इंडिया न्यूज़, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में श्वेत पत्र की चर्चा हो रही है। देवभूमि हिमाचल प्रदेश आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है। प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके मंत्रिमंडल के लोग आर्थिक बदहाली को लेकर अक्सर बातें कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज है। इसके अलावा कर्मचारियों की लंबित देनदारी से भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। जिस पर प्रदेश के सीएम ने श्वेत पत्र जारी करने की बात कही है। ताकि जनता के सामने वास्तविक स्थिति आए। उन्होंने आर्थिक बदहाली की वजह पूर्व सरकार के फिजूलखर्ची और अनियमितताओं को बताया।
श्वेत पत्र पर नेता प्रतिपक्ष और हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश की तरफ से लाए गए श्वेत पत्र का स्वागत करते हैं। वे हर तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, वे नहीं जानते कि प्रदेश को चलाने के लिए किस तरह की आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीएम को विकास की तरफ ध्यान देना चाहिए। जनता सरकार का काम देखना चाहती है।
किसी विषय विशेष या सार्वजनिक मुद्दे पर सरकार के आधिकारिक रिपोर्ट को श्वेत पत्र कहा जाता है। यह वास्तविक तथ्यों पर आधारित होता है। यह सरकार की ओर से जारी लिखित स्पष्टीकरण होता है। सरकार की ओर से आंकड़ों और तथ्यों पर आधारित रिपोर्ट होने की वजह से यह सरकार की योजनाओं और नीतियों का पूर्ण लेखा-जोखा होता है। आमतौर पर सरकार अपनी बात को स्पष्ट तौर पर जनता तक पहुंचाने के लिए श्वेत पत्र जारी करती है।
सबसे पहले साल 1922 में व्हाइट पेपर की शुरुआत हुई थी। उस समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक दंगे की सफाई में इसे जारी किया था, तब इसे चर्चिल व्हाइट पेपर भी कहा जाने लगा, लेकिन बाद में इसे व्हाइट पेपर कहा जाने लगा। इसमें सरकार सरकार के कार्यो और नीतियों के बारे में बताया गया होता है।
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