India News (इंडिया न्यूज़), White Paper, Himachal: पूर्व सीएम मुकेश अग्निहोत्री द्वारा गुरुवार को हिमाचल विधानसभा सदन में पिछली जयराम सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए श्वेत पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा कर्जा लेने वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। यह श्रेणी बड़े और छोटे सभी राज्यों की है। पिछली सरकार ने हिमाचल प्रदेश में वित्तीय प्रबंधन के बारे में कोई कदम नहीं उठाए। सरकार पर आज 92,774 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं। कर्ज की देनदारियां 76,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं। 16,262 करोड़ रुपए का आखिरी साल में उधार जुटाया गया। इसे पिछली सरकार ने लिया। महंगाई भत्ते का एलान किया और पैसा नहीं दिया गया। 10 हजार करोड़ रुपए वेतन और 600 करोड़ रुपए के महंगाई भत्ते की घोषणा कर दी गई, लेकिन इसे कर्मचारियों को नहीं दिया गया। 5,544 करोड़ रुपए की अन्य देनदारियों को जोड़ा जाए तो 92,774 करोड़ रुपए की देनदारियां डाल दी गई हैं। पूर्व सरकार की इन नीतियों की वजह से प्रदेश कर्जग्रस्त राज्य बन गया है।
हिमाचल प्रदेश की स्थिति यह है कि 2023 और 2024 बजट अनुमान के अनुसार 9,048 करोड़ रुपए तो कर्जों को चुकाने में और उसके ब्याज में देना है। 47,906 करोड़ रुपए कर्ज 2017-18 में था। पिछली सरकार ने 12 प्रतिशत औसत बढ़ोतरी के साथ 28,784 करोड़ रुपए कर्ज ज्यादा लिया गया। हर पैदा होने वाले बच्चे पर 1,02,818 रुपए का कर्ज है। जब कांग्रेस सत्ता में आई तो यह 66,000 रुपए था। राज्य सरकार ने वायदा किया था कि प्रदेश की जनता के समक्ष श्वेत पत्र लाया जाएगा। 5,000 करोड़ रुपए के घाटे में 23 में से 13 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं। योजना आयोग से सहायता मिलती है। सबसे बड़ा पाप जो किया गया है, वह यह कि 16,261 करोड़ रुपए का आखिरी साल में इन्होंने प्लान बनाया। सरकारी खर्चे पर पार्टी चलाई गई, यह बहुत बड़ा इन पर आरोप है। अमृत महोत्सव, जनमंच जैसे कई आयोजन हुए। 2021-22 की तुलना में 2022-2023 में 227 प्रतिशत अधिक कर्ज लिया गया। पिछली सरकार पंद्रहवें वित्तायोग के समक्ष ये ठीक से पक्ष नहीं रख सकी।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम कहते थे कि मैं ही मुख्यमंत्री बनूंगा। इस कुर्सी पर मैं ही रहूंगी। पंजाबी का एक गाना है कि मैं नहीं बोल दी, मेरे पीछे 16,261 करोड़ रुपए बोल दे…। सरकारी कार्यक्रमों में कभी बसें नहीं लगीं। लेकिन हर निर्वाचन क्षेत्र में 200 बसें लगा दी। यह सब चलता रहा। इस पर जब सदन में विपक्ष द्वारा हंगामा किया गया उस पर उपमुख्यमंत्री का कहना था कि करतूत बाहर आ रही है तो यह सुन नहीं पा रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पिछली जयराम सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए सदन में श्वेत पत्र पेश किया तो इस पर नोंकझोंक होती रही। नोंकझोंक हंगामे में बदल गई। हंगामे के बीच खूब नारेबाजी होती रही। नारेबाजी करते हुए विपक्ष के सदस्य वेल में चले गए। वे श्वेतपत्र प्रस्तुत करते मुकेश अग्निहोत्री का घेराव कर नारेबाजी करते रहे। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया विपक्ष के विधायकों को बैठने को कहते रहे, लेकिन वे नहीं मानें। फिर करीब पौने एक बजे विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 2:00 बजे तक स्थगित कर दी।
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