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World Environment Day: 17 साल की उम्र में 5,000 से ज्यादा पौधे लगा चुकी है हिमाचल की कल्पना ठाकुर, पिता से ली प्रेरणा

• LAST UPDATED : June 5, 2023

 India news (इंडिया न्यूज़) हिमाचल, World Environment Day:  कल्पना ठाकुर पेड़-पौधों को अपना भाई मानती हैं। रक्षा बंधन के दिन वह पेड़ों को राखी बांधती हैं। वह अब तक हजारों पौधे लगा चुकी हैं, जबकि पिता किशन लाल भी 50 हजार पौधे लगा चुके हैं। उन्होंने अपने पिता पर्यावरणविद् और मनाली के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किशन लाल ठाकुर से प्रेरणा लेते हुए मिसाल कायम की है।

कल्पना की बात करें तो उन्होंने 17 साल में लद्दाख समेत राज्य में 5 हजार से ज्यादा किस्म के पौधे लगाए हैं। खास बात यह है कि पर्यटन नगरी मनाली के अलेउ बिहाल में कल्पना ने देवदार के पौधे को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। वह आज भी उस पेड़ की देखभाल कर रही हैं। साथ ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के लिए 13 साल की उम्र में 18,870 फीट ऊंची चोटी पर तिरंगा भी फहरा चुकी है। मूल रूप से लाहौल-स्पीति की रहने वाली कल्पना ठाकुर को पर्यावरण संरक्षण में बेहतर कार्य करने के लिए कई राष्ट्रीय और स्थानीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें वर्ष 2018 में राष्ट्रीय हरित ब्रांड एंबेसडर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार उन्हें भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा राज्य के नाहन में आयोजित एक समारोह में दिया गया था। इसके अलावा ठाकुर को वेदराम स्मृति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। 870 फीट ऊंची चोटी पर तिरंगा भी फहराया गया है।

16 हजार पौधे रोपे जा चुके

करीब 16 हजार पौधे रोपे जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर पौधे अब बड़े हो चुके हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मंच भी बनाया है। वह देवभूमि पर्यावरण रक्षक मंच के अध्यक्ष हैं। वह समय-समय पर पौधरोपण के लिए जागरूकता शिविर लगाते हैं। साथ ही अब तक आंवला, अमरूद, जामुन, हरड़, देवदार और बांस के हजारों पौधे रोप चुके हैं और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने पर्यावरण दिवस पर जिले व प्रदेशवासियों को पौधरोपण करते रहने का संदेश दिया है, ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके। बता दें कि वह पहले शिक्षा विभाग में डीपीई और बाद में कोच रहे। तब से वह पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। वह अब तक आंवला, अमरूद, जामुन, हरड़, देवदार और बांस के हजारों पौधे लगा चुके हैं और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने पर्यावरण दिवस पर जिले व प्रदेशवासियों को पौधरोपण करते रहने का संदेश दिया है, ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके।

इस तरह के पौधे लगाए जा चुके

बता दें कि वह पहले शिक्षा विभाग में डीपीई और बाद में कोच रहे। तब से वह पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। वह अब तक आंवला, अमरूद, जामुन, हरड़, देवदार और बांस के हजारों पौधे लगा चुके हैं और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने पर्यावरण दिवस पर जिले व प्रदेशवासियों को पौधरोपण करते रहने का संदेश दिया है, ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके। बता दें कि वह पहले शिक्षा विभाग में डीपीई और बाद में कोच रहे। तब से वह पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के 10 हजार लोगों को शामिल कर रहे काम

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर हितधारक चर्चा विषय पर पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन और हीलिंग हिमालय विभाग द्वारा आधे दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करना, जमीनी स्तर पर प्रभावी क्षेत्र प्रयासों और संचालन के लिए मंथन रणनीतियों और अपशिष्ट प्रबंधन और अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल सभी हितधारकों के साथ भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए विभिन्न चुनौतियों पर व्यावहारिक चर्चा के माध्यम से ज्ञान साझा करना है। . साझा करना पड़ा 25 जून 2023 से हिमाचल प्रदेश के 10 हजार लोगों को शामिल कर पर्यावरण विभाग और हीलिंग हिमालय प्रदेश में स्वच्छता अभियान शुरू होगा। निदेशक पर्यावरण।

content: Kashish

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