India News(इंडिया न्यूज), Pakistan: पाकिस्तान के लाहौर में स्मॉग का लेवल इस कदर बढ़ गया है कि उससे निपटने के लिए पाकिस्तान में पहली बार कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल किया गया। कृत्रिम बारिश का मतलब नकली तरीके से हुई बारिश से है। लाहौर में क्लाउड सीडिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया गया। जिन्हें एयरप्लेन में लैस कर फैलाया गया।
यह दक्षिण एशियाई देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग था। शहर में क्लाउड सीडिंग उपकरणों से लैस विमानों को 10 क्षेत्रों में उड़ाया गया। लाहौर को वायु प्रदूषण के मामले में विश्व स्तर पर सबसे खराब स्थानों में से एक माना गया है। पाकिस्तान दक्षिण एशियाई देशों में से एक हैं जहां इस तरह के प्रयोग किए गए हैं।
बता दें कि यूएई ने पहले भी देश के कई इलाकों में बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग का उपयोग किया है। इसमें कॉमन सॉल्ट सहित विभिन्न लवणों का मिश्रण को बादलों में छोड़ना शामिल है। ये क्रिस्टल संघनन को बारिश के रूप में बदलने का काम करते हैं।
🟢 Possible Artificial Rain at Few areas of #Lahore. 🌧️
Weather Updates PK 2.0 – Jawad Memon / Pakistan Doppler (Former Karachi Doppler) pic.twitter.com/Ihq5EqLgxR
— Weather Updates PK (@WeatherWupk) December 16, 2023
पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने बताया, बारिश संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान किया गया एक “उपहार” थी। उन्होंने कहा, “दो विमानों के साथ संयुक्त अरब अमीरात की टीमें लगभग 10 से 12 दिन पहले यहां पहुंचीं। उन्होंने बारिश कराने के लिए 48 फ्लेयर्स का इस्तेमाल किया।” टीम को जल्द ही पता चल जाएगा कि “आर्टिफिशियल रेन” का क्या प्रभाव पड़ा।
इस वक्त पाकिस्तान में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद बुरी हो रखी है। विशेषज्ञों ने प्रदूषण के लिए निम्न श्रेणी के डीजल धुएं और मौसमी फसल जलने से निकलने वाले धुएं को जिम्मेदार ठहराया है। लाहौर स्मॉग से सबसे अधिक पीड़ित है, जो सर्दियों के मौसम में शहर के 11 मिलियन से अधिक निवासियों को प्रभावित करता है। लाहौर में PM2.5 प्रदूषकों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की खतरे की सीमा से 66 गुना से अधिक खतरनाक मापा गया है।
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