India News (इंडिया न्यूज) Dussehra 2023: दशहरा हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है। भारत में इस त्योहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन हिमाचल का कुल्लू शहर का दशहरा सबसे अनोखा है। देश में समापन होने के बाद कुल्लू में दशहरा शुरु होता है। बता दें कि यहां दशहरे में रावण का दहन नहीं किया जाता है। कुल्लू में दशहरा एक प्रकार का रंगारंग आयोजन है जो दशमी तिथि से शुरू होकर अगले 7 दिन तक चलता है।
हिमाचल राज्य के कुल्लू शहर में होने वाला ये दशहरा काफी खास है। इस दशहरे का भव्य आयोजन धौलपुर मैदान में होता है और यह उगते चंद्रमा के दसवें दिन से आरंभ होकर 7 दिनों तक चलता है। मान्यता है कि इस दशहरे की शुरुआज 16वीं शताब्दी से हुई थी और सबसे पहले साल 1662 में यह दशहरा धूम धाम से मनाया गया। कहा जाता है कि इस दशहरे के पहले दिन दशहरे के देवी और मनाली की हिडिंबा कुल्लू आती हैं। इस दौरान राजघराने के सभी सदस्य देवी-देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त करने यहां आते है।
इसके पीछे की कहानी की बात करें तो कहा जा है कि साल 1650 के दौरान कुल्लू के राजा जगत सिंह को भयंकर बीमारी हो गई थी। एक बाबा ने उनका इलाज अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान रघुनाथ की मूर्ति लाकर उसके चरणामृत से करने के लिए कही। कई संघर्षों के बाद रघुनाथ जी की मूर्ति को कुल्लू में स्थापित किया गया और राजा जगत सिंह ने यहां के सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। इसके बाद भगवान रघुनाथजी को सबसे बड़ा देवता मान लिया गया । तभी से देव मिलन का प्रतीक दशहरा उत्सव आरंभ हुआ। यहां उत्सव हर साल दशहरा के दिन मनाया जाने लगा।
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