लोकिन्दर बेक्टा, शिमला।
Chances of drought in Himachal : हिमाचल प्रदेश में बीते 4 माह से अधिक समय से खुश्क मौसम ने किसानी को प्रभावित किया है।
आलम यह है कि हिमाचल में सूखे जैसी स्थिति बनने लगी है। बीते 4 माह से बारिश न होने से जहां कृषि प्रभावित हुई है वहीं, पेयजल योजनाओं पर भी इसका असर पड़ा है।
सूखे से अभी तक राज्य में कुल कृषि क्षेत्र का 16.5 फीसदी क्षेत्र प्रभावित हो चुका है, वहीं 400 से अधिक पेयजल योजनाएं इसकी चपेट में आ चुकी हैं।
अब जैसे-जैसे मौसम की बेरुखी बढ़ती रहेगी, सूखे का असर और बढ़ता जाएगा। उधर, कृषि फसलों के साथ-साथ अब सेब की फसल पर भी इसका असर दिखने लगा है और बागवानी विभाग आंकलन में जुटा है।
हिमाचल के मैदानी इलाकों में सूखे की सबसे अधिक मार पड़ी है।
प्रदेश के ऊना जिले के किसान सूखे से प्रभावित हो चुके हैं और इस जिले में कृषि क्षेत्र के 53 फीसदी भाग पर सूखे की मार पड़ी है। राजस्व विभाग ने सूखे को लेकर सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी थी।
विभाग को सोलन, लाहौल-स्पीति व किन्नौर को छोड़कर बाकी 9 जिलों की रिपोर्ट मिल गई है। रिपोर्ट के मुताबिक बारिश न होने से प्रदेश में 7.66 प्रतिशत क्षेत्र में 33 प्रतिशत से ज्यादा कृषि पैदावार को नुकसान पहुंच चुका है।
सूखे से सर्वाधिक प्रभावित ऊना जिला हुआ है। वहां पर कुल कृषि क्षेत्र के 53 फीसदी क्षेत्र पर सूखे की मार पड़ी हैं।
इसी तरह जिला बिलासपुर में कृषि क्षेत्र का 12 फीसद, जिला हमीरपुर में 17 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसके अलावा कांगड़ा में 6.52 फीसदी, कुल्लू में 1.50 फीसदी, मंडी में 4 फीसदी और सिरमौर में 18.29 फीसदी कृषि फसलें सूखे के कारण खराब हुई हैं।
चम्बा जिले में सूखे का अभी असर कम है लेकिन यदि आने वाले कुछ दिनों में मौसम नहीं बरसा तो वहां पर भी सूखे का असर शुरू हो जाएगा।
हिमाचल के कुल 55.67 लाख हैक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 9.44 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है और करीब 9.97 लाख किसान इससे जुड़े हैं।
बता दें कि प्रदेश में फरवरी माह के पहले सप्ताह में बर्फबारी हुई थी। इसके बाद अधिकांश भागों में बारिश नहीं हुई है। केवल मात्र ऊंचाई वाले इलाकों में कुछ बर्फबारी और बारिश हुई।
बारिश के न होने से कृषि को नुकसान के साथ-साथ इसका असर पेयजल स्रोतों पर भी पड़ा है। बारिश न होने कई जिलों में पेयजल योजनाओं में पानी कम हो रहा है।
वहीं, कई योजनाएं प्रभावित हो चुकी हैं। प्रदेश में कुल 9,526 पेयजल योजनाओं में से 9 जिलों की 434 योजनाओं पर सूखे की मार पड़ चुकी है।
इसमें सबसे अधिक 61 पेयजल योजनाएं कुल्लू जिले में हैं। इसी तरह सिरमौर में 42, मंडी में 40, बिलासपुर में 38, शिमला और ऊना जिले में 22-22, कांगड़ा में 20 और चम्बा जिले में 2 पेयजल योजनाओं पर सूखे की मार पड़ी है। इससे प्रदेश की 3 लाख 12 हजार 253 जनसंख्या प्रभावित हुई है।
उपायुक्तों द्वारा सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि आगामी 2 सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो कई क्षेत्रों में लोगों को पानी की दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
हमीरपुर जिले के भोरंज, बमसन, कुल्लू जिले के खराहल, सरी, भेखली, अप्पर बबेली, जरीबारधा, केशवारी धारा, खारी कोल्टा, अरखंडी फगवाना बिशला धार, करड़, कराणा, कोटी, दलाश, डींगीधार, बैहना, खरगा, तुनन, पोशना व अपर निरमंड, जिला शिमला के फागू, मतियाना, कांगल, भरेड़ी व बड़ागांव तथा जिला ऊना के बंगाणा, भरवाईं व अंब क्षेत्र में लोगों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। Chances of drought in Himachal
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