इंडिया न्यूज, पालमपुर (Palampur-Himachal Pradesh)
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) (CSIR), भारत और रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आरएससी) (RSC-London), लंदन ने सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी, पालमपुर में एक वर्चुअल (virtual) ’’ग्लोबल बैटरी एक्सपेरिमेंट’’ (Global Battery Experiment) कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में, डॉ0 एन कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर (Dr. N. Kalaiselvi, Director General, CSIR) और डॉ0 पॉल लुईस, मुख्य परिचालन अधिकारी, आरएससी (Dr. Paul Lewis, Chief Operating Officer, RSC) ने सीएसआईआर (CSIR) की जिग्यासा पहल के तहत एक साथ काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो की एक स्कूली बच्चों और शिक्षकों के उद्देश्य से एक भारत व्यापी आउटरीच कार्यक्रम है।
इस अवसर के दौरान, देश भर के लगभग 2000 छात्रों ने 30 से अधिक सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में आयोजित आरएससी के “वैश्विक सिक्का प्रयोग” (global coin experiment) में भाग लिया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी (CSIR-IHBT) में जवाहर नवोदय विद्यालय, पपरोला (Jawahar Navodaya Vidyalaya, Paprola) के 50 से अधिक छात्रों और 2 शिक्षकों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को सिक्कों से बैटरियां बनाना सिखाया गया और साथ में एलईडी बल्ब भी जलाना सिखाया। डीजी सीएसआईआर ने ’’इनसाइट्स इन फ्यूचर ऑफ बैटरी टेक्नोलॉजी’’ (Insights into the future of battery technology) पर विशेष व्याख्यान भी दिया।
इसके अलावा, सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ0 संजय कुमार (Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT) ने छात्रों के साथ बातचीत की और उन्हें सीएसआईआर-आईएचबीटी (CSIR-IHBT) में संचालित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के बारे में बताया। इसके अलावा, उन्होंने छात्रों को अपने प्रयोगों के लिए प्रयोगशाला सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी ने छात्रों और शिक्षकों (students and teachers) के लिए लैब (lab)और फील्ड विजिट (filed visit) का भी आयोजन किया।
डॉ0 गिरीश नड्डा (dr girish nadda), डॉ0 अमित चावला (dr amit chawla) और डॉ0 विवेक डोगरा (dr vivek dogra) सहित सीएसआईआर-आईएचबीटी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कार्यक्रम का समन्वय किया। मोहित शर्मा (mohit sharma), डॉ0 उपेंद्र शर्मा (dr upender sharma), डॉ0 अमिताभ आचार्य (Dr. Amitabh Acharya), ईश्वर दास (ishwar dass) और संस्थान के स्वयंसेवक प्रयोग की देखरेख में आयोजित किए गए थे।