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Building a House in Himachal is Expensive एचपी में सरिया के दाम भी बढ़े

• LAST UPDATED : March 9, 2022

Building a House in Himachal is Expensive एचपी में सरिया के दाम भी बढ़े

इंडिया न्यूज, धर्मशाला :

Building a House in Himachal is Expensive : प्रदेश में अब घर बनाना और भी महंगा हो गया है। 1 सप्ताह के भीतर सरिया के दाम 500 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गए हैं।

पिछले सप्ताह सरिया का भाव 6,500 रुपए प्रति क्विंटल था, जोकि अब 7,000 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। पिछले सोमवार को एक ही दिन में सरिया के दाम में 200 रुपए का उछाल आया है।

बताया जाता है कि 2 महीने के भीतर सरिया 1 हजार रुपए महंगा हो गया है। सीमेंट के दामों में भी करीब 1 महीना पहले बढ़ोतरी हुई है।

पहले सीमेंट के दाम 425 रुपए प्रति बैग थे जोकि अब 435 से 475 रुपए प्रति बैग पहुंच गया है। 1 हजार र्इंटें 10 हजार रुपए में मिल रही हैं।

रेत की गाड़ी 18 हजार और बजरी की गाड़ी करीब 17 हजार रुपए में मिल रही है। ऐसे में घर बना रहे लोगों का बजट बिगड़ गया है।

गौरतलब है कि कई व्यापारी कीमतें बढ़ने की वजह यूक्रेन-रूस के युद्ध को बता रहे हैं। दलील दी जा रही है कि बाहर से आयात होने वाले कच्चे माल के दाम बढ़ने से सरिया महंगा हुआ है।

उद्योग वाले से जब भाव बढ़ने का कारण पूछते हैं तो कहते हैं कि माल चाहिए तो बढ़े दामों पर ही मिलेगा। दाम बढ़ने का कारण पूछा जाता है तो कोई कोयले के दाम में बढ़ोतरी का तर्क देता है तो कोई युद्ध की वजह से कच्चे माल की कीमत बढ़ने की बात कहता है।

व्यापारियों का कहना है कि उद्योगों पर नियंत्रण होना चाहिए ताकि वो सही तरीके से भाव बढ़ाएं, न कि अपनी मर्जी से।

सरिया (प्रति क्विंटल)     19 फरवरी     8 मार्च

  • 12 एमएम              6750          8100
  • 16 एमएम              6850          8200
  • 10 एमएम              6950          8300
  • 08 एमएम              7050          8400

सीमेंट (प्रति बैग)        पहले         अब

  • पीसीसी               425         435
  • गोल्ड                 455         475

सीमेंट नहीं मिलने से पंचायतों में रूके विकास कार्य (Building a House in Himachal is Expensive)

प्रदेश की पंचायतों में मनरेगा के तहत किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए पिछले 8-9 माह से सीमेंट नहीं मिल रहा है। इससे विकास कार्य ठप्प हो गए हैं।

प्रदेश की पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कई विकास कार्य शुरू किए गए हैं लेकिन सीमेंट नहीं पहुंचने से काम लटक गए हैं।

इससे मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। हालात यह हैं कि सीमेंट न होने से मनरेगा के तहत दिहाड़ी लगाकर गुजर-बसर करने वाले मजदूर बेकार बैठे हैं।

संबंधित पंचायत प्रधानों से कार्य शुरू करने की लगातार मांग कर रहे हैं। Building a House in Himachal is Expensive

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